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नेम प्लेट विवाद पर बोले असीम अरुण, 'अशुद्ध भोजन परोसने वाले छिपाते हैं पहचान'

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों और ढाबा मालिकों की पहचान सार्वजनिक करने को लेकर विवाद बढ़ता ही रहा है

नेम प्लेट विवाद पर बोले असीम अरुण, अशुद्ध भोजन परोसने वाले छिपाते हैं पहचान
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मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों और ढाबा मालिकों की पहचान सार्वजनिक करने को लेकर विवाद बढ़ता ही रहा है। इस बीच यूपी के समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री असीम अरुण शनिवार को मुरादाबाद पहुंचे, जहां उन्होंने कांवड़ यात्रा रूट पर नेम प्लेट को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि यह कोई नया कानून नहीं है। पूरे प्रदेश में इस कानून को सख्ती के साथ लागू कराया जाएगा।

योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह बहुत पुराना कानून है और ये कानून बहुत जरूरी भी है। इसके तहत ढाबा और रेस्टोरेंट के मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करना चाहिए, अपना जीएसटी आदि नंबर प्रकाशित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह कोई नया कानून नहीं है, बहुत पुराना कानून है। उसी के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। इसे बुरा मानने वाले वो लोग हैं, जो अवैध काम कर रहे हैं, अशुद्ध भोजन परोस रहे हैं। पकड़े न जाएं, इसलिए नाम छिपाते हैं। असीम अरुण ने कहा कि अशुद्ध भोजन न परोसें। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उसके लिए कानून उपलब्ध है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

असीम अरुण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो नेम प्लेट लगाने पर रोक लगाई थी, वह एक अलग विषय है और यह एक अलग मामला है। यह रेस्टोरेंट और ढाबा मालिकों की पहचान उजागर करने का मामला है, जिसे पूरे सूबे में सख्ती से लागू कराया जाएगा।

इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने नेम प्लेट चेक करने वालों की तुलना आतंकियों से की। उन्होंने कहा, "कांवड़ यात्रा रूट को लेकर सरकार का आदेश है कि नेम प्लेट लगाई जाए। मैं भी सरकार के इस फैसले से सहमत हूं। कभी इस्लाम ये नहीं सिखाता है कि आप पहचान छिपाकर कारोबार करें। हालांकि, ऐसे फैसलों को लागू करने का काम प्रशासन का होता है, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आम नागरिकों को अधिकार है कि वह किसी दुकानदार से धर्म पूछ सकते हैं? क्या पहलगाम में आतंकियों ने ऐसा नहीं किया था? ऐसा करने वाले और पहलगाम के आतंकियों में क्या अंतर रह गया? क्या ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, जो इस तरह की हरकतें कर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ रहे हैं?"


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