Top
Begin typing your search above and press return to search.

भूपेंद्र यादव ने कहा, अरावली का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र में ही रहेगा, आरोपों को किया खारिज

अरावली पहाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को लेकर उठे विवाद पर यादव ने कहा, "अरावली के मामले में कोई छूट नहीं दी गई है।

भूपेंद्र यादव ने कहा, अरावली का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र में ही रहेगा, आरोपों को किया खारिज
X

नई दिल्‍ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को अरावली पहाड़ियों के संरक्षण में ढील दिए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अरावली का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र में ही रहेगा। खनन की अनुमति केवल सीमित क्षेत्र में ही दी जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी के अधीन होगा।

कोई छूट नहीं दी गई

अरावली पहाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को लेकर उठे विवाद पर यादव ने कहा, "अरावली के मामले में कोई छूट नहीं दी गई है। अरावली पर्वतमाला चार राज्यों - दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात - में फैली हुई है। इस संबंध में एक याचिका 1985 से अदालत में लंबित है।" अपने एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा, 'भ्रम फैलाना बंद करें! अरावली के कुल 1.44 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मात्र 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही खनन की पात्रता हो सकती है। बाकी पूरी अरावली संरक्षित और सुरक्षित है।'

गलत जानकारी फैलाई जा रही

विवादित "100 मीटर" वाली परिभाषा को स्पष्ट करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा, "कुछ यूट्यूब चैनल 100 मीटर की सीमा को शीर्ष 100 मीटर के रूप में गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, जो सही नहीं है। 100 मीटर से तात्पर्य पहाड़ी के शीर्ष से नीचे तक के फैलाव से है, और दो पर्वत श्रृंखलाओं के बीच का अंतर भी अरावली श्रृंखला का हिस्सा माना जाएगा। इस परिभाषा के अनुसार, 90 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।"

खनन पर कड़ा नियंत्रण बना रहेगा

यादव ने सुंदरवन बाघ अभ्यारण्य में पत्रकारों से कहा कि खनन पर कड़ा नियंत्रण बना रहेगा। उन्होंने कहा, "मेरी बात याद रखिए, अरावली के कुल क्षेत्रफल में से केवल लगभग 217 वर्ग किलोमीटर ही खनन के लिए योग्य है। फिर भी, सुप्रीम कोर्ट ने सतत खनन के लिए एक प्रबंधन योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। इसके बाद, किसी भी गतिविधि को आगे बढ़ाने से पहले भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद से अनुमति लेना आवश्यक होगा।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अरावली दिल्ली क्षेत्र में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा, "दिल्ली में सभी संरक्षित क्षेत्र और वन भंडार यथावत रहेंगे। हमारी सरकार पिछले दो वर्षों से 'हरित अरावली' कार्यक्रम चला रही है। हम अरावली के प्रति बहुत सजग हैं।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it