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कठुआ दुष्कर्म व हत्या मामले में वकीलों ने सीबीआई जांच की मांग दोहराई

जम्मू बार एसोसिएशन ने कठुआ दुष्कर्म और हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की अपनी मांग दोहराते हुए गुरुवार को कहा कि वह आरोपियों का समर्थन नहीं कर रहा, बल्कि निष्पक्ष जांच चाहता

कठुआ दुष्कर्म व हत्या मामले में वकीलों ने सीबीआई जांच की मांग दोहराई
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जम्मू। जम्मू बार एसोसिएशन ने कठुआ दुष्कर्म और हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की अपनी मांग दोहराते हुए गुरुवार को कहा कि वह आरोपियों का समर्थन नहीं कर रहा, बल्कि निष्पक्ष जांच चाहता है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.एस. सलाथिया ने संवाददाताओं से कहा कि राजकीय अपराध शाखा ने न्यायालय में जिन अभियुक्तों के खिलाफ कठोर आरोपपत्र पेश किया है, वकीलों को उनका समर्थक बताने की कोशिश की जा रही है।

सलाथिया ने कहा, "जम्मू के वकीलों पर राज्य को सांप्रदायिक रूप से विभाजित करने का आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। हम सभी बस यही बोल रहे हैं कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। क्या सीबीआई सांप्रदायिक है?"

सवाल तो यह है कि आठ साल की मासूम बच्ची के साथ देव स्थान में छह लोगों की दरिंदगी, हत्या। पर्याप्त सबूत, आरोपपत्र दाखिल, फिर सीबीआई जांच की मांग कर न्यायिक प्रक्रिया में देरी कराने के पीछे आखिर मंशा क्या है?

उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रही अपराध शाखा ने जांच के लिए कश्मीर घाटी से एक अधिकारी को बुलाया है जबकि शाखा के पास जम्मू क्षेत्र में पर्याप्त अधिकारी हैं।

उन्होंने कहा, "बुलाया गया अधिकारी पर पहले हत्या और दुष्कर्म के आरोप भी लग चुके हैं। हमने कहा कि इस अधिकारी को इस मामले की जांच देने पर जांच प्रक्रिया पर सवाल उठता है।"

सलाथिया ने कहा, "न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी मांगों को सांप्रदायिक बताया जा रहा है। मीडिया को ईमानदारी से खबरें बनानी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन ने मुस्लिमों के कश्मीर घाटी या चेनाब क्षेत्र से आकर जम्मू में बसने पर कभी आपत्ति नहीं की।

उन्होंने कहा, "हां, हमने रोहिंग्याओं के जम्मू में बसने पर आपत्ति दर्ज की, क्योंकि उनकी उपस्थिति से खतरा रहता है।"

सलाथिया ने कहा, "देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाले लोगों का विरोध करना सांप्रदायिक है, तो यही सही।"

कठुआ जिले में जनवरी में आठ साल की एक बच्ची को कुछ लोगों ने एक गांव के मंदिर में एक सप्ताह तक बंदी बनाकर भूखे-प्यासे रखा, नशे की गोलियां खिलाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करते रहे, बाद में पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या कर दी थी। यह कुकृत्य दूसरे संप्रदाय के लोगों को सबक सिखाने की नीयत से किया गया।


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