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नीट मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वकीलों व छात्रों की आई प्रतिक्रिया

नीट परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया। कोर्ट ने एनटीए को निर्देश दिया कि अंकों को अपलोड करते समय छात्रों की पहचान को गुप्त रखें

नीट मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वकीलों व छात्रों की आई प्रतिक्रिया
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नई दिल्ली। नीट परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया। कोर्ट ने एनटीए को निर्देश दिया कि अंकों को अपलोड करते समय छात्रों की पहचान को गुप्त रखें। इसके अलावा, कोर्ट ने शहर और केंद्र के हिसाब से छात्रों को अंकतालिका को अपलोड करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में 22 जुलाई को सुनवाई होगी।

इस सुनवाई के संबंध में वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में गुुुरुवार सुबह से सुनवाई चल रही थी, जो चार बजे तक चली। याचिकाकर्ती की तरफ से जो सबूत एकत्रित हो पाए, उसे हमने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग अथॉरिटी को डायरेक्शन दिया है कि सारा रिजल्ट डिक्लेयर करें, ताकि याचिकाकर्ता उस डाटा को भी एनालाइज कर सकें।”

इस पर छात्रों ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान अपनी प्रतिक्रिया दी। छात्र अभिषेक ने कहा, “कोर्ट के सामने अभी यह प्रूव होना बाकी है कि पेपर लीक हुए हैं। हालांकि, पेपर लीक को लेकर आज कोर्ट के समक्ष बहुत सारे सबूत पेश किए गए। अभी कोर्ट के सामने पटना रिपोर्ट की कॉपी नहीं है, इसलिए कोर्ट ने कहा कि पटना रिपोर्ट की कॉपी कोर्ट को दी जाए। अभी कोर्ट तक सारे सबूत पहुंचे ही नहीं है। अगर इस घटना को सिलसिलेवार देखा जाए, तो लगता है कि पेपर लीक हुआ है, लेकिन जब तक कोर्ट के सामने सारे सबूत नहीं आ जाते, तब तक कोर्ट भी फैसला नहीं ले सकता।”

एक वकील ने भी इस संबंध में आईएएनएस से कहा, “आज कोर्ट ने माना है कि पटना और हजारीबाग में पेपर लीक हुआ है। इसके साथ ही कोर्ट ये जानना चाहता है कि पेपर कितने बजे लीक हुआ और कब छात्रों के पास पहुंचा, इसलिए आज उन्होंने पुलिस की रिपोर्ट और डायरी को भी मंगवाया है, जो ओरिजिनल प्राथमिकी में दर्ज है, वह अभी तक कोर्ट के सामने नहीं आई है। कोर्ट में सीबीआई की भी दो रिपोर्ट फाइल हुई है।”

वकील अमरनाथ सैनी ने कहा, “कोर्ट ने एनडीए को डायरेक्शन दिया है कि शनिवार शाम पांच बजे तक सभी छात्रों के रिजल्ट को वेबसाइट पर अपलोड करें, उसके बाद पिटीशनर को एक चांस होगा, उसको अपने तरीके से एनालाइज करें।”

छात्र अनुराग मिश्रा ने भी इस संबंध में आईएएनएस से कहा, “सीजेआई ने सबसे पहले पूछा कि कितने बच्चे हैं, जो चाहते हैं कि री-एग्जाम हो। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में जो डाटा पेश किया, वह बिल्कुल गलत था। उनका कहना था 131 बच्चे री एग्जाम चाहते हैं।”


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