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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वक्फ बोर्ड का सीईओ एक मुस्लिम होना चाहिए, 5 साल तक इस्लाम धर्म अपनाने की शर्त पर भी रोक

वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को करारा झटका लगा है..कोर्ट ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कई अहम निर्देश दिए हैं..कोर्ट ने कानून के कई प्रावधानों को लेकर ऐसे आदेश जारी किए हैं

वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वक्फ बोर्ड का सीईओ एक मुस्लिम होना चाहिए, 5 साल तक इस्लाम धर्म अपनाने की शर्त पर भी रोक
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वक्फ संशोधन कानून पर बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को लगा झटका

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को करारा झटका लगा है..कोर्ट ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कई अहम निर्देश दिए हैं..कोर्ट ने कानून के कई प्रावधानों को लेकर ऐसे आदेश जारी किए हैं.


मोदी सरकार को वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है.. कोर्ट ने वक्फ कानून 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कुछ महत्वपूर्ण अंतरिम निर्देश जारी किए.. हालांकि, कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कई अहम संशोधनों पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है..जिसे अदालत से मोदी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है..

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि

• बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में से 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

• राज्यों के बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

• कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसके अनुसार वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था। यह प्रावधान तब तक के लिए स्थगित रहेगा जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।

इसके साथ ही, कोर्ट ने सभी नए संशोधनों पर भी रोक लगा दी है, जिससे सरकार की मंशा को बड़ा झटका लगा है.. ये फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि केंद्र सरकार ने बहस के दौरान दलील दी थी कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.. वहीं, याचिकाकर्ताओं ने इसे मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताया था.. इस फैसले ने मोदी सरकार की धार्मिक मामलों से जुड़ी नीतियों पर एक सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.. ये देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार अब इस फैसले पर क्या रुख अपनाती है..


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