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बिहार एसआईआर मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जारी रहेंगी दावा-आपत्तियों की प्रक्रिया'

बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के तहत वोटर लिस्ट से नाम हटाने और जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने कई गंभीर सवाल उठाए, जिनमें सबसे बड़ा मुद्दा दस्तावेज जमा करने की समय सीमा, पारदर्शिता की कमी और आधार कार्ड को स्वीकार न किया जाना था

बिहार एसआईआर मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जारी रहेंगी दावा-आपत्तियों की प्रक्रिया
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बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

नई दिल्ली : बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के तहत वोटर लिस्ट से नाम हटाने और जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने कई गंभीर सवाल उठाए, जिनमें सबसे बड़ा मुद्दा दस्तावेज जमा करने की समय सीमा, पारदर्शिता की कमी और आधार कार्ड को स्वीकार न किया जाना था।

प्रशांत भूषण, याचिकाकर्ता वकील- कई आवेदकों ने जो फॉर्म जमा किए हैं, उन्हें चुनाव आयोग ने ऑनलाइन अपलोड नहीं किया है, जिससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किन लोगों के नाम हटाए गए हैं। चुनाव आयोग अपनी ही नियमावली का पालन नहीं कर रहा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण कई लोग दस्तावेज जमा नहीं कर पाए हैं, इसलिए समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ, चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने इस बात का खंडन किया।

राकेश द्विवेदी, EC की तरफ़ से पेश हुए वकील-1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी दावे, आपत्तियां और सुधार दर्ज करने पर कोई रोक नहीं है, और ये आवेदन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भी स्वीकार किए जाएंगे। अब तक 65 लाख लोगों में से केवल 33,326 व्यक्तिगत और 25 पार्टियों के माध्यम से दावे प्रस्तुत किए गए हैं। अगर समय सीमा बढ़ाई गई तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाएगी और मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का पूरा कार्यक्रम बाधित होगा

2 सितंबर तक वालंटियर्स तैनात किए जाएं- सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और कुछ अहम निर्देश दिए..जस्टिस सूर्यकांत ने ये साफ किया कि आधार की स्थिति, कानून और न्यायिक फैसलों के आधार पर ही तय होगी.. कोर्ट ने माना कि कुछ मुद्दे "गंभीर रूप से विवादित तथ्यात्मक प्रश्न" हैं.. इस पर, अदालत ने बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वो 2 सितंबर तक paralegal volunteers को तैनात करे.. ये वालंटियर, लोगों को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में मदद करेंगे और जिला न्यायाधीशों को गोपनीय रिपोर्ट भी सौंपेंगे..कोर्ट ने ये भी कहा कि 8 सितंबर को उन मामलों के उदाहरण पेश करें जहां आधार कार्ड को स्वीकार नहीं किया गया है...कोर्ट के इस रुख से साफ है कि वह प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना चाहती है।



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