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सुप्रीम कोर्ट से अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को राहत, ट्रायल पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर के ट्रायल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि निचली अदालत इस मामले में चार्जशीट पर संज्ञान न ले और न ही आरोप तय किए जाएं

सुप्रीम कोर्ट से अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को राहत, ट्रायल पर लगाई रोक
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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, ट्रायल पर लगी रोक

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर के ट्रायल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि निचली अदालत इस मामले में चार्जशीट पर संज्ञान न ले और न ही आरोप तय किए जाएं।

'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज मामले में बड़ी राहत दी। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के ट्रायल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि अभी इस केस में निचली अदालत चार्जशीट पर संज्ञान न ले और न ही आरोप तय किए जाएं।

इस बीच, हरियाणा पुलिस ने बताया कि प्रोफेसर अली खान के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई थीं। इनमें से एक मामले में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जबकि दूसरे मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती।

हरियाणा के सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को पुलिस ने मई में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर टिप्पणी करने को लेकर गिरफ्तार किया था। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' की नियमित प्रेस ब्रीफिंग करने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

उनके खिलाफ पहला मामला गांव जटेड़ी के सरपंच द्वारा दर्ज कराया गया था। इसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196, 197, 152 और 299 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

दूसरा मामला हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर दर्ज हुआ था, जिसमें सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने और आयोग के नोटिस की अवहेलना का आरोप लगा था। इस मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 353, 79, 152 और 169(1) के तहत केस दर्ज किया था।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और उसके बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी।


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