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'लैंड फॉर जॉब' मामला : हाईकोर्ट में लालू की दलीलें, जमीन के बदले नौकरी से जुड़े सीबीआई केस को रद्द करने की मांग की

'लैंड फॉर जॉब' मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लालू यादव के वकील ने अदालत में अपनी दलील पेश की। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी

लैंड फॉर जॉब मामला : हाईकोर्ट में लालू की दलीलें, जमीन के बदले नौकरी से जुड़े सीबीआई केस को रद्द करने की मांग की
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हाईकोर्ट में लालू की दलील, लैंड फॉर जॉब केस में एफआईआर के लिए जरूरी मंजूरी लेने में विफल रही सीबीआई

नई दिल्ली। 'लैंड फॉर जॉब' मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लालू यादव के वकील ने अदालत में अपनी दलील पेश की। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

लालू यादव ने जमीन के बदले नौकरी से जुड़े केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) केस को रद्द करने की मांग की है। लालू के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि सीबीआई इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) एक्ट के तहत अनिवार्य मंजूरी हासिल करने में विफल रही है।

उन्होंने कहा कि उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे, इसलिए पीसी एक्ट की धारा 17ए के तहत मंजूरी जरूरी थी। सीबीआई एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती थी और बिना एफआईआर जांच शुरू नहीं हो सकती थी। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव की उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने जमीन के बदले नौकरी घोटाले में दर्ज सीबीआई की एफआईआर को खारिज करने की मांग की थी।

लालू यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि वह इस मामले में दखल नहीं देगा।

लालू यादव की याचिका में कहा गया था कि सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक उनकी याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक निचली अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जानी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हाई कोर्ट पहले ही तारीख दे चुका है और इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं बनता।


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