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साइबर अपराध से बचना है तो डर, लालच और आलस्य को त्यागें : विशेषज्ञ

मध्य प्रदेश में साइबर अपराध की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए जागरुकता अभियान का सहारा लिया जा रहा है

साइबर अपराध से बचना है तो डर, लालच और आलस्य को त्यागें : विशेषज्ञ
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भोपाल। मध्य प्रदेश में साइबर अपराध की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए जागरुकता अभियान का सहारा लिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन अपराधों से बचना है तो डर, लालच और आलस्य को त्यागना होगा। पत्र सूचना कार्यालय भोपाल, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा साइबर सुरक्षा विषय पर आधारित ‘वार्तालाप’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी और शंकाओं का भी समाधान किया। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति के साइबर अपराध का शिकार बनने के पीछे मुख्य रूप से डर, लालच या आलस्य में से ही कोई एक वजह होती है। थोड़ी-सी जागरूकता और सतर्कता रखने से साइबर धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि साइबर अपराध के सबसे ज्यादा शिकार युवा और बुजुर्ग हाे रहे है। जब डिजिटल अरेस्ट जैसी बात आती है तो संबंधित डर जाता है, वहीं फोन पर लोकलुभावन जानकारी के जाल में फंसकर अपना ओटीपी आदि बता देता है। इसके साथ ही किसी विभाग का अधिकारी बनकर बिजली कनेक्शन कटने आदि जैसी सूचना को सच मानकर सहयोग कर देता है, अगर दफ्तर चले जाएं तो इस धोखे से बचा जा सकता है। आमजन अगर थोड़ी सतर्कता रखें तो इस फ्रॉड से बचा जा सकता है।

राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय की सहायक पुलिस महानिरीक्षक सारिका शुक्ला ने कहा कि बदलते डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक गंभीर चुनौती है और समाज के हर वर्ग को इसके लिए जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। साइबर कमांडो अनुज समाधिया ने डिजिटल अरेस्ट एवं साइबर स्लेवरी विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार के भ्रामक संदेश पर प्रतिक्रिया करने से पहले ठहर कर उसकी वास्तविकता का विचार करना आवश्यक है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सीनियर फैकल्टी अरुण पोनप्पन ने बैंकिंग एवं वित्तीय लेन-देन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला। साइबर सुरक्षा प्रशिक्षक अतुल श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली भ्रामक सूचनाओं एवं उनसे बचाव के तरीके बताए।

इस अवसर पर पीआईबी भोपाल के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने कहा कि डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड भी चिंताजनक स्तर तक बढ़े हैं। वर्ष 2022 से 2024 के दौरान भोपाल के नागरिकों को लगभग 104 करोड़ रुपये का नुकसान ऑनलाइन ठगी के माध्यम से हुआ, जिसमें से केवल दो प्रतिशत राशि ही रिकवर हो पाई। साइबर अपराध से प्राप्त धनराशि का उपयोग आतंकी गतिविधियों में भी होता है, इसलिए इस विषय पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है।


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