वक़्फ़ संशोधन क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, कानून की संवैधानिक वैधता को दी गई है चुनौती
वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट 15 सितंबर को अंतरिम फैसला सुनाने वाला है। इस कानून को लेकर विपक्ष सहित कई मुस्लिम संगठन लगातार अपना विरोध जता रहे हैं
वक़्फ़ संशोधन क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट 15 सितंबर को अंतरिम फैसला सुनाने वाला है। इस कानून को लेकर विपक्ष सहित कई मुस्लिम संगठन लगातार अपना विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि ये कानून उनकी धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन है। पहले से ही वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं.. ऐसे में केंद्र के नए कानून से वक्फ की संपत्तियों की हिफाजत चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।
दरअसल वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 15 सितंबर को एक अंतरिम फैसला सुनाने जा रहा है। इस फैसले पर देश भर की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि ये कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ा है और इसके विरोध में कई मुस्लिम संगठन और याचिकाकर्ताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया है। 22 मई को सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि ये कानून उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। सरकार के कानून से वक्फ संपत्तियों पर कब्जे शुरू हो सकते हैं। यहां तक कि सरकार भी वक्फ संपत्तियां छीन सकती है।
पिछली सुनवाई में, याचिकाकर्ताओं ने अदालत से इस कानून के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग की थी, जबकि केंद्र सरकार ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है..इस मामले की पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश की थीं..याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कानून के प्रावधान, जैसे कि वक्फ बोर्डों में सरकार की तरफ से सदस्यों की नियुक्ति और संपत्तियों की ‘सार्वजनिक’ प्रकृति को परिभाषित करने की शक्ति, धार्मिक मामलों में गैर जरूरी हस्तक्षेप है.. इस कानून का विरोध करने वालों में राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही संगठन शामिल हैं, जो इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला मानते हैं.. ये मामला देश की राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, इन सब के बीच अब सबकी निगाहें सोमवार 15 सितंबर को आने वाले अंतरिम फैसले पर टिकी हैं।



