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उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त 

महाधिवक्ता राघवेंद्र से मुख्य न्यायाधीश भोंसले ने पूछा कि आप सरकार की तरफ से हैं या आरोपी की तरफ से। महाधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि सामूहिक दुष्कर्म के में विधायक के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नही हैं

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त 
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लखनऊ/इलाहाबाद। उन्नाव में महिला से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार की चौतरफा थू-थू के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी ने उन दावों को धराशायी कर दिया जिनके मार्फत सरकार में बैठे लोग कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होने का डंका पीट रहे थे। इस बीच इस मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका पर चल रही सुनवाई पर बहस पूरी हो गई।

हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। फैसला कल दोपहर बाद दो बजे सुनाया जाएगा। लेकिन गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले ने तल्ख टिप्पणी की। कहा, यूपी की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। दुष्कर्म पीड़िता छह महीने तक न्याय कीुहार लगाती फिर रही थी और किसी ने उसकी सुनवाई तक नहीं की। जब उसके पिता की मौत हो गई तब पुलिस की नींद टूटी। मुख्य न्यायाधीश की इस टिप्पणी ने सरकार के सारे किए कराए पर पानी फेर दिया।

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिहं से मुख्य न्यायाधीश भोंसले ने पूछा कि आप सरकार की तरफ से हैं या आरोपी की तरफ से । महाधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि सामूहिक दुष्कर्म के में विधायक के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। पर्याप्त सुबूत होने पर कार्रवाई होगी। महाधिवक्ता ने कहा कि जो भी कार्रवाई हुई है या होगी, वह कानूनी प्रक्रिया के तहत है। इस जवाब पर अदालत ने नाराजगी जताई और सवाल किया कि क्या पुलिस हर मामले में ऐसे ही सुबूत जुटाती है। इसके बाद न्यायमित्र गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने भी अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया।

क्यों नहीं हुई विधायक की गिरफ्तारी

सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सुबह उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी अभी तक क्यों नहीं हुई। हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता को दो बजे तक की मोहलत दी और कहा कि बताएं विधायक को गिरफ्तार करेंगे या नहीं। अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि विधायक के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीे है। पर्याप्त साक्ष्य होने पर कार्रवाई की जायेगी। इस पर मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले ने महाधिवक्ता से कहा कि आप सरकार का पक्ष रख रहे हैं कि अपराधी विधायक की ओर से बोल रहे हैं। यह समझ से परे है कि अभियुक्तों को गिरफ्तार न कर पुलिस ने पीड़िता के पिता को क्यों गिरफ्तार किया। कोर्ट ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय को जानकारी महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता को देने को कहा है।

न्यायालय ने खुद लिया था संज्ञान

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्नाव मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। इस पर सुनवाई आज सुबह दस बजे से होने वाली थी लेकिन बहस दिन में 12 बजे हो सकी। लंच के बाद अब दोबारा दो बजे सुनवाई शुरू हो गई। मामले में सुबह सरकार की तरफ से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने की संस्तुति की है। दरअसल जब सुनवाई शुरू हुई तो राज्य सरकार के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने बताया कि 20 जून 2017 को पीड़िता की मां एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया कि बहला-फुसला कर तीन लोग उनकी बेटी को भगा ले गए है। मामले में पुलिस ने तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इनमें बृजेश यादव, अवधेश तिवारी और शिवम गिरफ्तार भी किए गए, बाद में तीनों जमानत पर रिहा किए गए हैं। 17 अगस्त 2017 को युवती ने पहली बार विधायक के खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की। उसने आरोप लगाया कि उसके साथ 4 जून 2017 के उसके साथ बलात्कार हुआ था।


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