विधि सचिव ने ली दिल्ली से विदाई, नौकरशाही मुख्य सचिव के साथ
दिल्ली की नौकरशाही में एक बार फिर भूचाल आ गया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व मुख्य सचिव एमएम कुट्टी के बीच चल रही जंग में जहां नौकरशाही कुट्टी के साथ खड़ी दिख रही है

नई दिल्ली। दिल्ली की नौकरशाही में एक बार फिर भूचाल आ गया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व मुख्य सचिव एमएम कुट्टी के बीच चल रही जंग में जहां नौकरशाही कुट्टी के साथ खड़ी दिख रही है वहीं मुख्यमंत्री की टिप्पणी, सीआर को लेकर की गई तीखी प्रतिक्रिया पर दिल्ली के विधि सचिव राजकुमार चौहान ने सरकार से विदाई ले ली है।
दिल्ली हाईहर ज्यूशियल सर्विसेस के जज श्री चौहान को पिछले साल ही दिल्ली सरकार के सचिव, विधि का कामकाज सौंपा गया था। हालांकि श्री चौहान को सरकार ने रिलीव करते हुए विधि सचिव का अतिरिक्त कार्यभार वरिष्ठ आईएएस एसएन सहाय को दिया गया है।
वरिष्ठ प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इसके अलावा दिल्ली सरकार के गृह सचिव सत्यागोपाल को अरूणाचल प्रदेश भेज दिया गया। गृह सचिव के कामकाज को लेकर भी उनके मातहत तक खुश नहीं थे और उनके दमन के कार्यकाल के साथ साथ दिल्ली के पूर्व कार्यकाल को लेकर भी तमाम चर्चाएं की जाती रही हैं। सत्यागोपाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए एक दशक पूर्व दिल्ली की कॉऑपरेटिव सोसायटी में चल रही धांधलियों पर कई एफआईआर दर्ज करवाई थी और मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी। इसके बावजूद उनके कामकाज को लेकर उनके सहयोगभी कभी खुश नहीं रहे। यहां तक कि उन्हें दिल्ली में नियुकित को लेकर पूर्व में भी कैडर कंट्रोल अथारिटी तक में सहमति नहीं बन सकी थी। पूजा-पाठ में विश्वास करने वाले सत्यागोपाल तो अरूणाचल प्रदेश चले गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विवाद के बाद चर्चा में आईं आईएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन को दिल्ली में नियुक्ति दी गई है। वह केंद्र सरकार में पद संभालेंगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्य सचिव एमएम कुट्टी के बीच मेट्रो किराए में वृद्धि की जांच के बहाने पैदा हुई तनातनी के बाद आम आदमी पार्टी भले कुट्टी पर निशाना साध रही हो लेकिन नौकरशाही पूरी मुस्तैदी से मुख्य सचिव के पीछे खड़ी होती दिख रही है। दिल्ली के एक पूर्व आाईएएस तो सीधे केजरीवाल पर हमला बोलते हैं कि अरविंद केजरीवाल खुद आईएएस बनना चाहते थे लेकिन वे बन नहीं पाए। यही वजह है कि उन्हें आइएएस अफसरों से दिक्कत होती है और दिल्ली के मुख्य सचिव सहित अन्य अफसरों को लेकर उनकी नाराजगी उनकी उसी सोच के कारण है।
सरकार में कार्यरत कई अधिकारियों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल के नेता भले उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाएं लेकिन यहां पर सच यह नहीं है कि अफसर सरकार के खिलाफ हैं, बल्कि वे राजनिवास और दिल्ली सचिवालय के बीच की लड़ाई में पिस रहे हैं।


