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असम में कानून व्यवस्था ध्वस्त, डिवाइड एंड रूल की पॉलिटिक्स कर रहे सीएम सरमा : सैयद नसीर हुसैन

असम विधानसभा में जुमे की नमाज के ब्रेक को खत्म करने पर विपक्षी दल सवाल उठा रही हैं। वहीं, जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया मुस्लिम विरोधी बयानों पर गहरी चिंता जताते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है, जिसको लेकर सियासत बढ़ गई है

असम में कानून व्यवस्था ध्वस्त, डिवाइड एंड रूल की पॉलिटिक्स कर रहे सीएम सरमा : सैयद नसीर हुसैन
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नई दिल्ली। असम विधानसभा में जुमे की नमाज के ब्रेक को खत्म करने पर विपक्षी दल सवाल उठा रही हैं।

वहीं, जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया मुस्लिम विरोधी बयानों पर गहरी चिंता जताते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है, जिसको लेकर सियासत बढ़ गई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि असम में ना तो सड़क बनी है, ना पुल बना है, ना कोई डेवलपमेंट का काम हुआ है। असम में कानून-व्यवस्था की बहुत बुरी स्थिति है। अब आने वाले दिनों में उनको चुनाव लड़ना है, इसलिए वो इस तरह का बयान दे रहे हैं। नॉन इश्यू को इश्यू बनाना, पॉलिटिसाइज करना, डिवाइड करना, फिर वोट पाना, ये उनका तरीका है। असम की जनता ने इनको वोट दिया था काम करने के लिए और इन्होंने काम नहीं करके सिर्फ हिंदू-मुस्लिम किया है। आगामी असम विधानसभा चुनाव में यहां की जनता इनको सबक सिखाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के कितने देश घूमे हैं, कितनी बार विदेश दौरे किए, कौन से एजेंडे के साथ प्रधानमंत्री विदेश यात्रा करते हैं, पहले उनको ये बात देश को बतानी चाहिए। जिस दिन राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे, उस दिन हम देश के सामने बताएंगे कि हम बाहर जाकर देश के लिए क्या काम करते थे। राहुल गांधी को दुनिया के कोने-कोने से, एकेडमिक इंस्टीट्यूशन से, अलग-अलग फोरम से बुलाया जाता है, तो वो जाएंगे। गिरिराज सिंह को कोई इन्विटेशन नहीं आ रहा है तो उनको इतनी जलन क्यों हो रही है।

बता दें कि मौलाना मदनी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को एक पत्र भेजा है, जिसमें असम के मुख्यमंत्री के लगातार असंवैधानिक बयानों की सूची संलग्न की गई है और कार्रवाई की मांग की गई है। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह भी किया है।


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