उप्र परिवहन निगम को परिसंपत्तियों के बदले 27.55 करोड़ भुगतान के मामले में अंतिम मौका
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड परिवहन निगमों के बीच केन्द्रीय आस्तियों एवं परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में चल रहे विवाद में मंगलवार को उप्र सरकार को अंतिम मौका देते हुए कहा है कि परिवहन निगम एक सप्ताह के अंदर पैसा जमा करे अन्यथा सख्त कार्यवाही के लिये तैयार रहे

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड परिवहन निगमों के बीच केन्द्रीय आस्तियों एवं परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में चल रहे विवाद में मंगलवार को उप्र सरकार को अंतिम मौका देते हुए कहा है कि परिवहन निगम एक सप्ताह के अंदर पैसा जमा करे अन्यथा सख्त कार्यवाही के लिये तैयार रहे।
इसके अलावा न्यायालय ने उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के मामले में उत्तराखंड सरकार एवं परिवहन निगम को भी एक सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिये हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश उत्तराखंड परिहवन निगम कर्मचारी यूनियन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद आज दिये हैं। कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया है कि निगम कर्मियों को जुलाई माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। इससे कर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यूनियन की ओर से यह भी कहा गया कि उप्र सरकार की ओर से केन्द्रीय आस्तियों के बंटवारे के बदले होने वाले 27.55 करोड़ का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है और न ही उत्तराखंड सरकार की ओर से लाॅकडाउन की अवधि के दौरान हुए घाटे के तौर पर लगभग 79 करोड़ की धनराशि की भरपाई की जा रही है।
इसके जवाब में उप्र परिवहन निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि उसकी ओर से 31 अगस्त 2020 के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी है और कुछ कमियों के कारण सुनवाई नहीं हो पायी है। इसके लिये निगम की ओर से अतिरिक्त समय की मांग की गयी। याचिकाकर्ता रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से इसका विरोध किया गया और कहा गया कि उप्र परिवहन निगम की मंशा साफ नहीं है और वह इस मामले को लंबित रखना चाहता है। इसके बाद अदालत ने उप्र परिवहन निगम के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्देश दिये कि एक सप्ताह के अंदर इस मामले में जवाब प्रस्तुत करे अन्यथा अदालत की ओर से अग्रिम कार्यवाही के लिये तैयार रहे।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय की ओर से विगत 31 अगस्त 2020 को एक आदेश जारी कर उप्र परिवहन निगम को आस्तियों के बंटवारे के बदले 27.55 करोड़ रुपये का भुगतान करने के निर्देश दिये गये थे। जिस पर उप्र परिवहन निगम की ओर से अभी तक अमल नहीं किया गया है। इसके अलावा अदालत ने उत्तराखंड सरकार को भी निगम को लाॅकडाउन की अवधि के दौरान हुए घाटे के बदले में 79 करोड़ की धनराशि के भुगतान के मामले में एक सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। हालांकि सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से प्रक्रिया जारी है और इस मामले को अनुपूरक बजट में रखा गया है। सरकार के इस जवाब से अदालत संतुष्ट नजर नहीं आयी। यही नहीं अदालत ने परिवहन निगम कर्मियों को वेतन का भुगतान नहीं होने के मामले को भी बेहद गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम से भी एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
दूसरी ओर उत्तराखंड परिवहन निगम की बेशकीमती जमीन पर स्मार्ट सिटी परियोजना का निर्माण करने वाले कंपनी की ओर से अदालत को बताया गया कि उसने इस भूमि पर निर्माण कार्य बंद कर दिया है। अदालत की ओर से स्मार्ट सिटी परियोजना पर पहले ही रोक लगा दी गयी थी। आज कंपनी की ओर से पूरी तरह से दावा छोड़ दिया गया है।


