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एनओसी मामले में जांच के दायरे में विभाग के बड़े किरदार 

अग्निशमन विभाग के ऑनलाइन सिस्टम में सेंधमारी कर एनओसी देने के मामले में बड़े किरदार भी शामिल

एनओसी मामले में जांच के दायरे में विभाग के बड़े किरदार 
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नोएडा। अग्निशमन विभाग के ऑनलाइन सिस्टम में सेंधमारी कर एनओसी देने के मामले में बड़े किरदार भी शामिल हैं। एफएसओ को एनओसी जारी करने का अधिकार नहींं है। एफएसओ अपनी ग्राउंड रिपोर्ट ऑनलाइन देता है। एफएसओ से उपर के अधिकारी ही एनओसी जारी करता है। इससे आशंका जताई जा रही है। इस रैकेट अग्निशमन विभाग के और भी अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं।

नोएडा पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। इसमें कई लोग पुलिस के रडार पर हैं। रविवार को नोएडा पुलिस ने एनओसी के नाम पर घूस लेने के आरोप में एफएसओ प्रथम कुलदीप कुमार और फायर वेंडर अरविंद गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। अग्निशमन विभाग का एनओसी सीएफओ यानि मुख्य अग्निशमन अधिकारी, विभाग के डिप्टी डायरेक्टर व ज्वाइंट डायरेक्टर रैंक के अधिकारी देते हैं।

आवासीय सेक्टर में 60 मीटर ऊंचाई तक सीएफओ, 60 से 100 मीटर तक डिप्टी डायरेक्टर और 100 मीटर से अधिक ऊंचाईं वाली बिल्डिंग का एनओसी ज्वाइंट डायरेक्टर देते हैं। इसी तरह शैक्षणिक, संस्थागत, औद्योगिक, बिजनेस, मार्केट सेक्टर के भवनों का एनओसी भी सीएफओ व उनके उपर के अधिकारी देते हैं। जब भी एनओसी के लिए कोई आवेदक ऑनलाइन फॉर्म भरता है तो एफएसओ के पास उसकी जांच आती है।

एफएसओ 6 से लेकर 9 दिन में उस बिल्डिंग का भौतिक सत्यापन कर अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन भेजता है। इसके बाद मुख्य अग्निशमन अधिकारी, डिप्टी डायरेक्टर या इसके उपर स्तर के अधिकारी एनओसी जारी करता है। सवाल उठता है कि एफएसओ की रिपोर्ट को आंख मूंदकर मान लिया गया या इसमें भी कुछ खेल है। क्योंकि डेढ़ साल से चल रहे इस खेल को अधिकारी नहीं पकड़ पाए। क्रॉस चेक भी कभी नहीं किया।


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