जमीन का अधिग्रहण जीडीए के लिए साबित हो रहा है टेढ़ी खीर
मधुबन बापूधाम योजना के लिए 281 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जीडीए के लिए टेढ़ी खीर साबित होता जा रहा है
गाजियाबाद। मधुबन बापूधाम योजना के लिए 281 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जीडीए के लिए टेढ़ी खीर साबित होता जा रहा है। इस 281 एकड़ जमीन के लिए जीडीए अगर किसानों को उनकी मांग के अनुरूप मुआवजा देने को तैयार भी हो जाता है तो पूर्व में 800 एकड़ जमीन के किसानों के साथ हुए करार से जीडीए को परेशानी होगी। जीडीए को इन किसानों को भी बढ़ी हुई दर के हिसाब से ही मुआवजा देना पड़ेगा। ऐसा न करने की स्थिति में 800 एकड़ भूमि के किसान भी जीडीए के खिलाफ कोर्ट को सहारा ले सकते हैं।
दरअसल मधुबन बापूधाम योजना के लिए जीडीए ने 1234 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण करने की योजना बनाई थी। इसके लिए 1100 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मुआवजा राशि तय की गई थी। 800 एकड़ जमीन के किसानों ने जीडीए इस रेट पर अपनी जमीन जीडीए को दे दी थी, जबकि 281 एकड़ के स्वामी किसान मुआवजा राशि बढ़ाने को कोर्ट चले गए थे।
खास बात यह है कि जिन किसानों ने अपनी 800 एकड़ जमीन जीडीए को 1100 रुपए दाम के हिसाब से दी थी, उन्हीं के साथ जीडीए का एक करार भी हुआ था। इस करार के हिसाब से जीडीए अफसरों ने स्पष्ट किया था कि जो किसान अभी जीडीए को अपनी जमीन नहीं दे रहे हैं, अगर भविष्य में उन्हें मुआवजा राशि बढ़ाकर दी गई तो 800 एकड़ जमीन के किसानों को भी वही मुआजवा राशि दी जाएगी। किसान नेता सुदेश पाल सिंह के मुताबिक जब जीडीए किसानों को सात से 14 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मुआवजा देने की बात कर रहा है।
तो उसे इस करार के तहत 800 एकड़ जमीन के किसानों को भी यह बढ़ी हुई राशि देनी होगी। यानी जीडीए को पुराने किसानों को भी बढ़ी हुई दर के हिसाब से मुआवजे के रूप में मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है।


