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लांसेट लेख सच्चाई और जमीनी हकीकत से परे, तलाक लेकर नागरिकों में दहशत पैदा करने वाला : डब्ल्यूसीडी

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने (डब्ल्यूसीडी) 24 फरवरी के लैंसेट के कोविड-19 से जुड़े लेख को सच्चाई और जमीनी हकीकत से तलाक लेकर नागरिकों में दहशत पैदा करने के इरादे से लिखा गया करार दिया है

लांसेट लेख सच्चाई और जमीनी हकीकत से परे, तलाक लेकर नागरिकों में दहशत पैदा करने वाला : डब्ल्यूसीडी
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नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने (डब्ल्यूसीडी) 24 फरवरी के लैंसेट के कोविड-19 से जुड़े लेख को सच्चाई और जमीनी हकीकत से तलाक लेकर नागरिकों में दहशत पैदा करने के इरादे से लिखा गया करार दिया है। लैंसेट ने बताया है कि भारत में 19 लाख से अधिक बच्चों ने कोविड के कारण अपनी प्राथमिक देखभाल करने वालों को खो दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शोधकर्ताओं ने उन बच्चों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए परिष्कृत पद्धति का उपयोग किया है, उन्होंने अपनी प्राथमिक देखभाल करने वालों को खो दिया है, लेकिन इन निष्कर्षों का भारत में जमीनी हकीकत से कोई संबंध नहीं है जैसा कि क्षेत्र के निष्कर्षों से परिलक्षित होता है। राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों से आने वाले और माननीय अनुसूचित जाति के निर्देशों और निगरानी के अनुसार संकलित किए जा रहे क्षेत्रीय आंकड़ों के अनुसार, भारत के लिए संख्या लगभग 1.53 लाख है।

मंत्रालय ने इस संबंध में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे प्रत्येक बच्चे की पहचान करें, जिसने अपने एक या अधिक माता-पिता को खो दिया है या किसी भी कारण से (कोविड या अन्यथा) महामारी के दौरान कोविड के दौरान छोड़ दिया गया है। माता-पिता की हानि कोविड के कारण, प्राकृतिक, अप्राकृतिक या महामारी की अवधि के दौरान किसी अन्य कारण से हो सकती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 109 के तहत एक निगरानी प्राधिकरण के रूप में अपने कार्य को आगे बढ़ाते हुए, बाल स्वराज नामक एक पोर्टल स्थापित करने के लिए कहा, जहां यह डेटा अपलोड किया जाना है। तदनुसार, एनसीपीसीआर किसी भी कारण से अपने माता-पिता (या तो एक या दोनों) को खो चुके सभी बच्चों और 1 अप्रैल, 2020 से छोड़े गए बच्चों को लगातार ट्रैक कर रहा है। प्रत्येक बच्चे का डेटा व सूचना कैप्चर, सत्यापित और जांच की जाती है। ताकि ऐसे सभी बच्चों को उचित देखभाल, सुरक्षा और लाभ प्रदान किया जा सके। अब तक पोर्टल पर 1,53,827 बच्चों का पंजीकरण किया जा चुका है, जिनमें एकल माता-पिता वाले 1,42,949 बच्चे, 492 परित्यक्त बच्चे और 10,386 बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई, 2021 को उन बच्चों के लिए व्यापक समर्थन की घोषणा की थी, जिन्होंने कोविड महामारी के कारण अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्होंने अपने माता-पिता को कोविड महामारी में खो दिया है। उन्हें आत्मनिर्भर अस्तित्व के लिए तैयार करने के लिए 23 वर्ष की आयु तक पहुँचने पर वित्तीय सहायता दी जाएगी।

उपलब्ध डेटा के अनुसार आंध्र-प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में सबसे अधिक बच्चे अनाथ हुए हैं।


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