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तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी की जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती हैं

अब तो जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती हैं।' ये शब्द हैं सेलिब्रिटी बन चुकीं तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल के

तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी की जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती हैं
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नई दिल्ली। 'अब तो जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती हैं।' ये शब्द हैं सेलिब्रिटी बन चुकीं तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल के। जब उनसे उनकी जिंदगी के बारे में सवाल किए जाते हैं तो उनके होठों से ये शब्द निकलते हैं और उनकी आंखें डबडबा उठती हैं।

यह अलग बात है कि लक्ष्मी ने अपने संघर्षो के बल आज थोड़ा नाम और थोड़ी शोहरत कमा ली है, और इसी का परिणाम है कि उनके ऊपर मेघना गुलजार जैसी काबिल फिल्मकार फिल्म बना रही हैं, लेकिन तेजाब हमले ने उनके सामने जो चुनौतियां पेश की हैं, पूरी जिंदगी एक अंतहीन संघर्ष में तब्दील हो गई है।

लक्ष्मी ने विशेष बातचीत में कहा, "हां, अब तो जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती है। चुनौती को हंस कर अपनाएं या रोकर, यह आप पर निर्भर करता है। मुझे लगता है कि समस्या का समाधान भी हमारे खुद के पास ही होता है।"

वर्ष 2005 में एक 32 वर्षीय दरिंदे ने लक्ष्मी पर तेजाब फेंक दिया था, जिससे उनका पूरा चेहरा बुरी तरह जल गया था। लक्ष्मी उस वक्त मात्र 15 साल की थीं।

जिंदगी में हर किसी के सपने होते हैं। बेशक, लक्ष्मी के भी सपने रहे होंगे, जो शायद जवां होने से पहले ही टूट गए! उन्होंने कहा, "हां, मैं सिंगर (गायक) बनना चाहती थी। लेकिन हादसे के बाद जब शीशे में खुद को देखा तो बहुत परेशान हो गई। आत्महत्या करने का भी मन किया, फिर अहसास हुआ कि आत्महत्या जीवन के लिए आसान नहीं है। फिर माता-पिता से बात करना जरूरी समझा।"

..और इस तरह विचार-मंथन के बाद जिन्दगी को आगे बढ़ाने का रास्ता निकला। लक्ष्मी कहती हैं, "मैंने नकारात्मक चीजों को उलट कर उसे सकारात्मक तरीके से लिया। मैंने अपने भीतर सकारात्मकता लाने की कोशिश की।"

हर संघर्ष में सहयोग और असहयोग के अनुभव हर किसी के होते हैं। लक्ष्मी के क्या अनुभव रहे? उन्होंने कहा, "काफी लोग जिंदगी में आए और चले गए, नाम तो मैं नहीं लूंगी। जिन्होंने कहा हम हमेशा तुम्हारे साथ खड़े हैं, सबसे ज्यादा धोखा उन्हीं ने दिया। मुझे लगता है कि जिंदगी चुनौतीभरी है। हर दिन लोग आते हैं और जाते हैं, सबसे जरूरी है खुद का साथ देना, खुद पर विश्वास करना।"

लक्ष्मी, आलोक दीक्षित के साथ लिव-इन में रह चुकी हैं और दोनों की एक बेटी भी है। हालांकि अब वह आलोक के साथ नहीं रहतीं।

इस बारे में उन्होंने कहा, "मैं लिव-इन में रही थी। मैं चाहती थी कि मेरी शादी हो। इस बारे में मैंने आलोक से बात की और उन्होंने मुझे शादी के सही मायने बताए। मुझे लगा कि शादी नहीं करनी चाहिए। आलोक ने मुझसे कहा 'हम किसे शादी में बुलाएंगे, उन्हें जिन्होंने हमारा साथ नहीं दिया?' इस वजह से मैंने भी शादी नहीं की और आज भी मैं सिंगल मदर हूं। अब मैं आलोक के साथ नहीं रहती।"

लिव-इन की असहजता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं लगा, क्योंकि वह डर और हिचकिचाहट तो हादसे के वक्त ही खत्म हो गई थी। उसके बाद किस बात का डर।"

लक्ष्मी ने बताया कि लोगों को लग रहा होगा कि आज उनका नाम है, जगह-जगह उन्हें बुलाया जाता है, उनपर फिल्म बन रही है, लेकिन उनके जीवन का स्याह पक्ष यह है कि गुजर-बसर के लिए उनके पास कोई ठोस जरिया नहीं है, और वह एक अदद नौकरी के लिए संघर्ष कर रही हैं।

लक्ष्मी ने आईएएनएस से कहा, "लोगों की नजर में लक्ष्मी एक सेलिब्रिटी हैं। लक्ष्मी की जिंदगी बदल गई है, अब लक्ष्मी को किसी चीज की जरूरत नहीं है। उसके पास सबकुछ है, लेकिन सच्चाई यह है कि मैं आज भी नौकरी, घर और जीवन की बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रही हूं।"

वर्तमान में लक्ष्मी एक एनजीओ चलाती हैं और तेजाब पीड़िताओं की मदद भी करती हैं। उन्होंने कहा, "अभी मैं खुलेआम बिक रहे तेजाब के खिलाफ अभियान चला रही हूं। उनके लिए काम कर रही हूं, क्योंकि सर्वाइवर परेशान हैं, उनका इलाज नहीं हो पा रहा है, उनके सपनों को साकार करने में उनकी मदद करने की कोशिश कर रही हूं।"

उन्होंने कहा, "उनके सपनों को जिंदा रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे कहीं न कहीं अंदर की आत्मा मर जाती हैं और इसलिए उन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है।"

लक्ष्मी ने खुलेआम तेजाब बिक्री पर पाबंदी के लिए एक लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी और 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि तेजाब की बिक्री के लिए चुनिंदा विक्रेताओं को लाइसेंस जारी किए जाएं। इसके बावजूद देश में आए दिन तेजाब हमलों की खबरें आती रहती हैं।

लक्ष्मी कहती हैं, "दरअसल, कानून तो है, मगर क्रियान्वयन की समस्या है। एक दिक्कत और है। कानून कहता है कि जो अब घटनाएं होंगी, उन पर कानून लागू होगा, लेकिन जो घट चुकी हैं, उनका क्या? घट चुकीं घटनाओं के लिए नए कानून की आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा, "कानून के साथ ही समाज में बदलाव की आवश्यकता है। जो मामले 10-10 साल चलते हैं, उन्हें छह महीने में सुलझाया जाए तभी अपराध रुकेंगे। हालांकि समाज में अब थोड़ी जागरूकता आई है। वर्ष 2013 से पहले घरेलू हिंसा, दुष्कर्म के बारे में लोग जानते थे, तेजाब हमले की हिंसा जानते ही नहीं थे। आज यह एक मुद्दा भी है। यह खुशी की बात है कि ऐसा बदलाव आया है, जो लड़कियां पहले मुंह छिपा कर चलती थीं, अब खोलकर चलती हैं।"

उन्होंने कहा, "आज तेजाब पीड़िताओं की शादियां हो रही हैं, कल तक उनकी शादी भी नहीं होती थी, उन्हें लोग बुलाना पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब उन्हें आमंत्रित करते हैं। यह बड़ा बदलाव है।"

गायन का जुनून पूरा करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि व्यस्तता के कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर पा रही हैं, और शायद अब सपने बदल चुके हैं।


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