सिम्स में एआरटी सेंटर में नियमित स्टाफ की कमी
सिम्स के एआरटी सेंटर नियमित स्टाफ की कमी से सालों से जूझ रहा है

बिलासपुर। सिम्स के एआरटी सेंटर नियमित स्टाफ की कमी से सालों से जूझ रहा है। वही इस सेंटर में 3 वर्ष से डाटा मैनेजर भी नहीं है। बिना डाटा मैनेजर के एड्स पीड़ित मरीजों का डाटा पंजीयन किया जा रहा है। जबकि 2000 मरीज के आंकड़े में तीन विशेषज्ञ डाक्टर होना जरुरी है।
लेकिन यहां एक विशेषज्ञ और दो असिस्टेंट से काम चलाया जा रहा है। सिम्स में वर्ष 2009 से एआरटी सेंटर संचालित किया गया है। इस सेंटर में संभाग के एड्स पीड़ित मरीजों का पंजीयन किया जाता है और सेंटर से पंजीकृत मरीजों को दवा का वितरण किया जाता है।
हर साल संभाग में एड्स पीड़ित से अब तक संभाग में 5 हजार मरीज पंजीयन करा चुके हैं। इसमें मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, कटघोरा, पंडरिया व कवर्धा के मरीज शामिल है। मरीजों की सुविधा के लिये तीन सेंटर दवा वितरण के लिये बनाए गए हैं। इसमें चांपा, रायगढ़ व कोरबा शामिल है।
संभाग में हर साल 600 से अधिक एडस से पीड़ित मरीज पंजीयन करा रहे हैं। हर साल के आंकड़ों के अनुसार संभाग में एड्स पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इन एड्स के मरीजों की संख्या में सबसे अधिक ड्रग यूजर्स है। जो इंजेक्शन के माध्यम से ड्रग लेेते हैं।


