चिमटीमार में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
आने जाने के लिये सड़क न हो, पीने के लिये पानी न हो, उपयोग करने के लिये बिजली न हो अगर ऐसे में किसी को रहना पड़े तो उसे कैसा महसूस होगा

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मनेन्द्रगढ़। आने जाने के लिये सड़क न हो, पीने के लिये पानी न हो, उपयोग करने के लिये बिजली न हो अगर ऐसे में किसी को रहना पड़े तो उसे कैसा महसूस होगा। ऐसे हालात मनेन्द्रगढ़ से लगे कई गांवों में आज भी देखा जा सकता हैं। ऐसा ही एक गांव है चिमटीमार जहां गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं।
मनेन्द्रगढ़ से लगभग 4 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 43 में से लगा हुआ है ग्राम चिमटीमार।
ग्रामीणों का मानना है कि आजादी के बाद से अब तक उनके गांव का कोई विकास नही हुआ, वे पहले जहां थे अभी भी वहीं हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते गांव के लोग काफी परेशानी के बीच जीवन यापन कर रहे हैं। चिमटीमार के अवराटोला में पीने के पानी के लिये एक हैंडपंप लगा हुआ है। जब यह हैंडपंप खराब हो जाता है तो लोग पारा के नजदीक बहने वाले नाला का पानी पीते हैं। या फिर दूर जाकर दूसरे पारा से पानी ढोकर लाते हैं।
वहीं यहां के ग्रामीणों को सबसे बड़ी दिक्कत आवागमन के साधन को लेकर है। यहां पूरा का पूरा गांव पगडंडियों से घिरा हुआ है। कच्ची सड़क भी नही है जिसके कारण ग्रामीणों को आने जाने में काफी परेशानी होती है। दिक्कत उस समय बढ़ जाती है जब गांव का कोई आदमी बीमार पड़ जाता है तब उसे चरपाई का डोला बनाकर ले जाना पड़ता है।
अवराटोला में लंबे अरसे से लोग बिजली की मांग कर रहे हैं लेकिन पता नही क्यों सैकड़ों आवेदन देने के बाद भी ग्रामीणों को आज तक बिजली नही मिल पाई। टोला में बिजली न होने के कारण यहां सूर्यास्त ढलते ही अंधेरा होता है जिसके बाद ग्रामीण अपने अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं। अंधेरे के कारण ग्रामीण रात में चाहकर भी बाहर नही निकल पाते क्योंकि बाहर जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है।
पहुंचविहीन क्षेत्र होने के कारण यहां के लोग विकास से कोसों दूर हैं। जब पीने के पानी की ही समस्या बनी हुई है तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के किसानों को खेती के लिये पानी कैसे मिलता होगा जो आसानी से समझा जा सकता है। गांव के कुछ लोगों ने बेचने के हिसाब से सब्जी भी लगाये हुये है लेकिन पानी की कमी के कारण उनकी पूरी फसल बर्बादी की कगार पर है।


