कोड़केल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
करोड़ों रूपये का राजस्व देने वाले गांव में आज भी स्वास्थ्य जैसी प्रमुख बुनियादी सुविधाओं का अभाव

हिंडाल्को की दो खदानें संचालित हैं इस गांव में
रायगढ़। करोड़ों रूपये का राजस्व देने वाले गांव में आज भी स्वास्थ्य जैसी प्रमुख बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। कोड़केल, लमदरहा, बालजोर जैसे कई गांव को महज खानापूर्ति के लिए एक उप स्वास्थ्य केन्द्र तो दिया गया है लेकिन यह भवन खुद बिमार है। कोड़केल में दो कोल ब्लाक हैं और दोनो कोल ब्लाक देश की नामी कंपनी हिण्डालको के पास है लेकिन कंपनी के सीएसआर से भी उप स्वास्थ्य केन्द्र के भवन को नहीं बनाया जा सका है।
कोड़कोल गांव न सिर्फ बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है बल्कि अंचल के लोगों की बिमारी का इलाज करने वाला अस्पताल भवन स्वयं बिमार हो चुका है। जिसकी न सिफ दीवारें जर्जर हो चुकी है बल्कि छत भी पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। छत से टपकते पानी को रोकने के लिए प्लास्टिक बांधा गया है ताकि दवाई आदि को सुरक्षित रखा जा सके। खास बात यह है कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र की कार्यकर्ता को रहने के लिए एक निवास स्थान भी नहीं मिला है वैसे उप स्वास्थ्य केंद्र में स्वयं रहती भी है और मरीजों का भी उपचार करती है।
कोड़केल में स्थित दो बड़े कोल ब्लाक हिण्डालको के पास है और इससे करोड़ों रूपये का राजस्व मिलता है। यह राजस्व डीएमएफ फण्ड में जाता है और डीएमएफ फण्ड से प्रभावित गांव में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है लेकिन डीएमएफ फण्ड का उपयोग प्रभावित गांव में न कर नेताओं के इशारे पर उनके मनचाहे क्षेत्रों में काम करा दिया गया। वहां भी काम खानापूर्ति के तरीके से हुआ डीएमएफ फण्ड इन दिनों प्रशासन के लिए एक बड़ा कमाई का जरिया बना हुआ है। खास बात यह है कि हिण्डालकों को भी गांव में बुनियादी सुविधाएं विकसित करना है लेकिन कंपनी भी के ग्रामीणों के साथ लगातार छलावा करते चले आ रही है। जिले के तमनार ब्लाक के कोड़केल में स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र जो पिछले काफी समय से खस्ताहाल में पहुंच गया है। इस बारिश में तो दरो दिवार से पानी तक रिसने लगा है। छत भी जगह-जगह से टपक रहा है। कोड़केल का यह उप स्वास्थ्य केन्द्र पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। खास बात यह है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वास्थ्य कार्यकर्ता का निवास स्थान भी यहीं है। उप स्वास्थ्य केन्द्र का ऐसा कोई कमरा नहीं है जो बारिश में टपकता नहीं हो। छत से टपकते बारिश के पानी से बचाव के लिए प्लास्टिक लगाया गया है।


