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साथ आए मजदूर किसान

केन्द्र सरकार की उदारीकरण की नीतियों का असर किसान, मजदूर और खेत मजदूरों के साथ आम आदमी की जिंदगी पर हो रहा है

साथ आए मजदूर किसान
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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की उदारीकरण की नीतियों का असर किसान, मजदूर और खेत मजदूरों के साथ आम आदमी की जिंदगी पर हो रहा है। अभी तक तीनों संगठन अलग अलग आंदोलन करते रहै हैं, पर पहली बार किसान, शहरी मजदूर और खेत मजदूर एक साथ मिलकर आंदोलन की राह पर बढ़ा है। पांच सितम्बर को राजधानी में होने वाली मजदूर किसान संघर्ष रैली के आयोजकों का दावा है, कि इसमें पांच लाख लोग शामिल होंगे, अगर यह दावा सच साबित होता है, तो यह आजाद भारत की सबसे बड़ी रैली होने वाली है।

रैली का आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा, सेंटर फार ट्रेड यूनियन और अखिल भारतीय खेत मजदूर संगठन मिलकर कर रहे हैं। इससे पहले किसान सभा ने 9 अगस्त को जेल भरो आंदोलन किया था, जिसे सीटू और खेत मजदूरों के अलावा दलित संगठनों व पूर्व सैनिकों को समर्थन किया था। संयुक्त रैली का यह पहला मौका है। आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए किसान नेता हन्नान मौल्ला ने बताया, कि बाहर से आने वाले लोगों को रोकने का इंतजाम रामलीला मैदान के अलावा गाजियाबाद और फरीदाबाद के मैदानों में किया गया है। यह पहला मौका है, जब केरल से लेकर बंगाल व पूर्वोत्तर तक के किसान मजदूर यहां आ रहे हैं। महाराष्ट्र के नासिक के जिन किसानों ने मुंबई मार्च किया था, उनमें से बड़ी संख्या में किसान आने वाले हैं, किसान नेता अशोक धवले ने बताया, कि नासिक से एक पूरी ट्रेन बुक कराई गई है।

हन्नान मौल्ला के अनुसार 5 सितम्बर को रामलीला मैदान से रैली निकाली जाएगी, जो संसद मार्ग पहुंचेगी, इसके साथ ही दिल्ली के अलग-अलग छह स्थानों से रैली निकाली जाएगी। उनका कहना है, कि यातायात बाधित ना हो, इसके लिए उन लोगों ने बोट क्लब की मांग की थी, पर प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ। उन्होंने बताया, कि इस रैली को देश के अन्य किसान संगठन, बुद्धिजीवियों, दलित संगठनों, पूर्व सैनिकों के संगठन, भूमि अधिकार आंदोलन का समर्थन है। सीटू की राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमलता का कहना था, कि सरकार की नीतियों से लोगों में जिस तरह बैचेनी है, उसके व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।

उन्होंने कहा, यह शुरुआत है आने वाले समय में इस तरह की संयुक्त कार्यवाईयां पूरे देश में आयोजित की जाएंगी। रैली का आयोजन किसानों का कर्ज माफी, फसल का उचित दाम, भूमि अधिग्रहण पर रोक, न्यूनतम वेतन 18 हजार करने, श्रम कानूनों में बदलाब रौकने, मनरेगा को मजबूत करने जैसी मांगों को लेकर किया जा रहा है।


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