Top
Begin typing your search above and press return to search.

कुम्भ: पहली बार निकली किन्नर अखाड़े की पेशवाई

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम कुम्भ से पहले रविवार को तीर्थराज प्रयाग में पहली बार किन्नर अखाड़े की देवत्त यात्रा निकली

कुम्भ: पहली बार निकली किन्नर अखाड़े की पेशवाई
X

प्रयागराज। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम कुम्भ से पहले रविवार को तीर्थराज प्रयाग में पहली बार किन्नर अखाड़े की देवत्त यात्रा निकली।

देवत्व यात्रा (पेशवाई) रामभवन चौराहे से शुरु हुई। इसमें बडी संख्या में देश के कोने-कोने और विदेश के किन्नर, अखाड़े के सभी पदाधिकारी और बड़ी संख्या में शिष्य शामिल थे।

आचार्य पीठाधीश्वर, पीठाधीश्वर, महंत आदि रथ पर सवार थे। इस दौरान काफी हर्षोउल्लास का माहौल देखा गया।

किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नरायण त्रिपाठी, अखाड़े की पीठाधीश्वर प्रभारी उज्जैन की पवित्रा माई, उत्तर भारत की महामंडलेश्वर भवानी मां, अन्तर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर डा राज राजेश्वरी, जयपुर की मंडलेश्वर पुष्पा माई,दिल्ली की महामंडलेश्वर कामिनी कोहली और पश्चिम बंगाल की मंडलेश्वर गायत्री माई , महाराष्ट्र नासिक की मंडलेश्वर संजना माई समेत बड़ीं संख्या में किन्नरों ने हिस्सा लिया।

पेशवाई के दिल्ली, राजस्थान, हैदराबाद, केरल समेत अमेरिका, हालैंड, फ्रांस आदि स्थानों से आये किन्नरों ने लकझक पेशवाई में शिरकत किया।

भारी विरोध के बावजूद पहली बार प्रयागराज में पेशवाई निकालने पर किन्नर अखाड़े के लिए यह बहुत गर्व की बात है।

सभी 13 अखाड़ों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले किन्नर अखाड़े को मान्यता देने से इनकार कर दिया था।

विरोध के बावजूद किन्नर अखाड़े ने यह कहते हुए इस महाकुंभ में शिरकत की वह उप देवता है अत: उन्हें किसी से मान्यता की ज़रूरत नहीं है।

देवत्त यात्रा में चल रही एक किन्नर ने कहा कि किन्नरों के अस्तित्व को समाज ने लंबे समय से अनदेखा किया है, अपना खोया वजूद पाने और समाज में किन्नरों के सम्मानजनक जगह दिलाने के लिए उन्होंने इस अखाड़े की स्थापना की है।

उनका कहना था कि किन्नरों की शिक्षा और रोज़गार के लिए भी पहल की ज़रूरत है, जिससे वो भी सम्मान के साथ जी सकें।

किन्नर अखाड़े की प्रयागराज में पहली देवत्त यात्रा होने के कारण लोगों में इसे देखने का बहुत क्रेज रहा। इस देवत्त यात्रा को देखने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

लोग इनपर फूलों की वर्षा कर रहे थे। इसमें यात्रा में हाथी, घोड़ा, ऊंट शामिल थे। देवत्त यात्रा के साथ चल रहे बैंड बाजों ने पूरे रास्ते अपने मधुर गीतों से शमा बांध दिया था।

किन्नर अखाड़े का तीर्थराज प्रयाग में यह पहला कुम्भ है, इसलिए देवत्व यात्रा कहीं अधिक भव्य है। इसके अलावा, यह किन्नर अखाड़े का दूसरा कुंभ है, जिसमें देवत्व यात्रा निकाली गयी। इससे पहले 2016 के उज्जैन कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े ने अपनी पहली देवत्व यात्रा निकाली थी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it