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आस्था की डुबकी लगाने कुम्भ पहुंचे श्रद्धालु

तीर्थराज प्रयाग में गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की पहली डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला शहर में पहुंचने लगा

आस्था की डुबकी लगाने कुम्भ पहुंचे श्रद्धालु
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कुंभनगरी। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की पहली डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला शहर में पहुंचने लगा है।

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ स्नान के लिए श्रद्धालुओं का चारों ओर से रेला प्रयागराज में पहुंचने लगा है। श्रद्धालु सिर पर गठरी लिए खरामा-खरामा धर्म की इस नगरी में मंगलवार की तड़के आस्था की डुबकी लगाने के उद्देश्य से पहुंच रहे है।

भोर से श्रद्धालुओं का रेला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। फाफामऊ, झूंसी और कौशाम्बी तरफ से चार पहिया वाहनो पर एक माह का कल्पवास करने की व्यवस्था में रजाई, गद्दा, पैरा,गैस, और अपने परिजनों समेत पहुंच रहे है।

इलाहाबाद रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार कुम्भ मेला की ओर पहुंच रही है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालु एक दूसरे के हाथ या कपड़ा कर कतारबद्ध तरीके से इधर से उधर चक्रमण कर रहे हैं।

वह किसी भी स्थिति में अपने सगे-संबधियों का हाथ छोडने को तैयार नहीं होते। उन्हें डर बना रहता है कि हाथ से हाथ छूटा तो उनका साथ छूट जायेगा। अधिक भीड़ होने पर वह एक दूसरे का कपड़ा कस कर पकड़ लेते हैं।

शहर से लेकर पूरा मेला क्षेत्र एक अद्भुत एवं अालौकिक आभा लिए प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत कर रही है। पूरे मेला क्षेत्र में गहमा गहमी बनी हुई है। संगम के साथ ही गंगा पार झूंसी स्थित सेक्टर में बसे अखाड़ों में नागा सन्यासियों की दुनिया से भी लोग वाकिफ होने का प्रयास कर रहे हैं।

पूरा शहर चींटी की रफ्तार से चल रहा है। वाहनों के ध्वनि प्रदूषण ने वातावरण को बोझिल कर दिया है। शहर के आस-पास के जिलों से श्रद्धालु वाहन से पहुंच रहे हैं जबकि नजदीक जिले की सीमा से लोग पैदल ही पहुंच रहे हैं।

इन दिनों मेला में डेरा ड़ाल चुके साधु-महात्मा भोर में ही संगम पहुंच कर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगा रहे हैं।

मंगलवार को मकर संक्राति स्नान के लिए अलीगढ़ से दीपक सैनी (65) और उनकी पत्नी सुलोचना देवी (62) संगम पर स्नान किया और पूजापाठ करने के बाद पंडों को दान दक्षिणा दिया।

उन्होंने बताया कि उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वह कुम्भ स्नान पहले दिन करें। उन्होने बताया कि उनका ट्रेन में आरक्षण था, बावजूद इसके उन्हें अन्य श्रद्धालुओं की भीड़ का सामना करना पड़ा। गंगा में मकर संक्रांति के अवसर पर कुम्भ का पहला स्नान करने के बाद ठहरने की व्यवस्था नहीं होने के कारण वह शाम को वापस चले जायेंगे।

धर्मभीरू सुलोचना का कहना है,“ गंगा मइया के दर्शन हो गये, जीवन सफल हो गया। एक सवाल के जवाब में सुलोचना ने बताया कि आस्था सबसे बड़ी होती है। मन पवित्र और आस्था है तो गंगा कभी दूषित हो ही नहीं सकती।

दूसरों का पाप धेने वाली कैसे दूषित हो सकती है। गंगा को दूषित कहने वालों का मन खुद ही दूषित है। उन्होंने सवाल किया अगर गंगा दूषित हैै तो करोड़ो- करोड़ श्रद्धालु इस गंगा में दूर दराज से चलकर स्नान करने क्यों आते हैं। वह यहां गंगा मां के पावन दर्शन और उनका आचमन करने आते हैं।

सड़क किनारे बसे रैन बसेरा, संगम क्षेत्र में पेड के नीचे , पुल के नीचे, लेटे हनुमान मन्दिर के आस-पास लोगों ने मंगलवार की सुबह पहली डुबकी लगाने के लिए स्थान तलाश लिया है। संगम किनारे ब्लैक कैट कमांडो, आरएएफ से लेकर स्थानीय पुलिस के जवान निगरानी में जुटे हैं। जल पुलिस , सेना के जवान भी चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।


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