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कुमाऊं क्वेस्ट : नारी शक्ति के नेतृत्व में दिल्ली से आदि कैलाश-लिपुलेख यात्रा

भारतीय सेना नारी शक्ति को कितना महत्त्व देती है, गुरुवार को इसकी एक झलक ‘कुमाऊं क्वेस्ट’ मोटरसाइकिल अभियान की शुरुआत में दिखी

कुमाऊं क्वेस्ट : नारी शक्ति के नेतृत्व में दिल्ली से आदि कैलाश-लिपुलेख यात्रा
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नई दिल्ली। भारतीय सेना नारी शक्ति को कितना महत्त्व देती है, गुरुवार को इसकी एक झलक ‘कुमाऊं क्वेस्ट’ मोटरसाइकिल अभियान की शुरुआत में दिखी। हिमालय की विशाल पर्वतों और दुर्गम पहाड़ियों से होकर गुजरने वाले इस अभियान का नेतृत्व सेना की एक महिला अधिकारी को सौंपा गया है।

सेना का एक दल इस अभियान के तहत दिल्ली से आदि कैलाश, ओम पर्वत व लिपुलेख जैसे दुर्गम व सुदूर पहाड़ी इलाकों में मोटरसाइकिल से पहुंचेगा। यह कुमाऊं की पहाड़ियों में पर्यटन को बढ़ावा देने, भारतीय विरासत को संरक्षित करने और हिमालय में भारत द्वारा किए गए सकारात्मक विकास को सुदृढ़ करने का मिशन है। दिल्ली से सेना के ये मोटरसाइकिल सवार उत्तराखंड में सबसे पहले रुद्रपुर और फिर वहां से चंपावत इलाके में पहुंचेंगे। आगे के सफर में पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचुला, आदि कैलाश, कालापानी, ओम पर्वत और लिपुलेख जैसे सीमावर्ती क्षेत्र में यह अभियान पहुंचेगा।

कुमाऊं क्वेस्ट मोटरसाइकिल अभियान को गुरुवार को दिल्ली में हरी झंडी दिखाई गई। दिल्ली में सेंट्रल कमांड के चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने मोटरसाइकिल अभियान "कुमाऊं क्वेस्ट" को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को सेना के साथ जोड़ना, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना और कुमाऊं की पहाड़ियों में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना है।

नौ दिवसीय अभियान कुमाऊं सेक्टर के पहाड़ी तथा सुरम्य इलाकों से गुजरेगा, जिसका एक उद्देश्य अग्निपथ योजना, ज्वाइन इंडियन आर्मी और सुदूरवर्ती जीवंत गांव कार्यक्रम जैसी राष्ट्रीय पहलों को बढ़ावा देना है। भारतीय सेना की महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल अदिति मिश्रा के नेतृत्व में यह मोटरसाइकिल रैली शुरू की गई है।

सेना का कहना है कि ‘कुमाऊं क्वेस्ट’ मोटरसाइकिल रैली नारी शक्ति की भावना को दर्शाती है, जो सशस्त्र बलों में नेतृत्व, साहस और समावेशिता का एक शक्तिशाली उदाहरण स्थापित करती है। अभियान के दौरान एनसीसी कैडेटों के साथ संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें उन्हें करियर संबंधी मार्गदर्शन और सेना की जीवनशैली के बारे में जानकारी दी जाएगी। पिथौरागढ़ और डीडीहाट के सुदूर क्षेत्रों में वीर नारियों और युद्ध के पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के लिए सम्मान समारोह आयोजित किए जाएंगे, सीमा और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

सेना ने बताया कि यह अभियान हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय गौरव और सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देना है। सेना का कहना है कि कुमाऊं क्वेस्ट के साथ, भारतीय सेना न केवल हमारी सीमाओं के रक्षक के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि करती है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक भी है। इस अभियान से विश्वास का निर्माण होगा। इसके उद्देश्यों में अगली पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रयास और अपने स्थायी आदर्श वाक्य “राष्ट्र पहले, हमेशा पहले” को कायम रखना शामिल है।


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