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उप्र में क्षत्रिय समाज ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

गृहमंत्री अमित शाह ने मुरादाबाद में भाजपा विधायक और नेताओं को बुलाकर नाराजगी दूर करने का किया प्रयास

उप्र में क्षत्रिय समाज ने बढ़ाई भाजपा की चिंता
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- देवेंद्र सिंह

ग्रेटर नोएडा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय समाज ने भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। ठाकुर समाज में फैली हुई नाराजगी की काट ढूंढने के लिए भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं। सबको पता है कि उत्तर प्रदेश में ठाकुर समाज से आने वाले योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ठाकुर समाज भाजपा से नाराज बताया जा रहा है। भाजपा ठाकुरों की नाराजगी का रिस्क नहीं ले सकती है।

टिकट ना मिलने से नाराज हैं ठाकुर समाज

उत्तर प्रदेश का ठाकुर समाज टिकट बंटवारे में नाराजगी के कारण भाजपा से नाराज बताया जा रहा है। अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां की 14 लोकसभा सीटों में से केवल मुरादाबाद की एक सीट पर ही भाजपा ने ठाकुर समाज के प्रत्याशी को टिकट दिया है। रही सही कमी ठाकुर समाज के गौरव रहे जनरल वी.के. सिंह का टिकट कटने से पूरी हो गई।

ठाकुर समाज के लोग सवाल पूछ रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद सीट से जनरल वी.के. सिंह का टिकट काटने का क्या कारण था ? भाजपा के नेता जनरल वी.के. सिंह का टिकट भारतीय राजनीति का चाणक्य माना जाता है। उत्तर प्रदेश में ठाकुर समाज की नाराजगी की आशंका को पहचानकर अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। अमित शाह ने ठाकुर समाज से जुड़े हुए सभी भाजपा नेताओं तथा विधायकों को तलब कर लिया है। बुधवार को अमित शाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे पर है।

अमित शाह उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक चुनावी जनसभा करने के बीच ही ठाकुर समाज को भाजपा के पक्ष में बनाए रखने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। अमित शाह के निकटवर्ती सूत्रों का दावा है कि ठाकुर समाज की नाराजगी को जल्दी ही दूर कर लिया जाएगा। यह अलग बात है कि ठाकुर समाज अपने लोगों को टिकट ना मिलने को एक बड़ी राजनीतिक साजिश मानकर चल रहा है। यह साजिश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर बताई जा रही है। दरअसल देखा जाए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई लोकसभा सीट पर राजपूत समाज का अच्छा खासा प्रभाव है। भाजपा हाईकमान ने समाज के इस प्रभाव को दरकिनार करके टिकट बंटवारे में क्षत्रिय समाज की अनदेखी की। गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट ऐसी सीट है जहां पर क्षत्रिय समाज निर्णायक भूमिका में है।

भाजपा हाईकमान इसका अंदराजा नहीं लगा पाया कि क्षत्रिय समाज की अनदेखी पार्टी पर भारी पड़ने वाले हैं। क्षत्रिय समाज हमेशा भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा। 2009, 2014, 2019 लोकसभा चुनाव में अन्य जातियों के वोट का धुव्रीकरण हुआ लेकिन राजपूत समाज उस समय भी भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ा रहा। अगर भाजपा गाजियाबाद सीट से लगातार दो बार सांसद रहे जनरल वीके सिंह का टिकट का काटकर उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया। गाजियाबाद से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग को क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ा, यहां तक मुजफरनगर लोकसभा सीट से संजीव बलियान का कई गांव में विरोध हुआ। इसी तरह गौतमबुद्धनगर लोकसभा के दादरी क्षेत्र के राजपूत बहुल्य क्षेत्र साठा चौरासी, आकलपुर गांव, सिकंद्राबाद, खुर्जा आदि क्षेत्र में डॉक्टर महेश शर्मा को विरोध का सामना करना पड़ा।

भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा ने बुधवार को नामांकन के दौरान जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह और नोएडा विधायक पंकज सिंह को सामने लाकर एकजुटता दिखाने का प्रयास किया। अब यहां एकजुटता कब तक कायम रहेगी, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव प्रचार चरम पर पहुंचेगा तो उस समय देखने को मिलेगा भाजपा प्रत्याशी की एकजुटता दिखाने का प्रयास कितना कामयाब हो पाता है।

पूर्वाचल में भी असर दिखाई देने लगा।

यही नहीं इस विरोध का असर धीरे-धीरे करके पूर्वाचल में भी असर दिखाई देने लगा। माना जा रहा है कि भाजपा इसी लिए गोंडा जिले के कैंसरगंज लोकसभा सीट पर अभी तक प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं कर पाया। अगर भाजपा ने कैसरगंज लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद ब्रजभूषण सिंह का टिकट काटा तो इसका प्रभाव आसपास की कई सीटों पर भी पड़ा सकता है। अब देखने की बात यह है कि भाजपा इनकी नाराजगी को कैसे दूर कर पाता है। वीके सिंह का टिकट काटने से उनकी जितनी नाराजगी है, सोशल मीडिया पर जिस तरह चल रहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को भी बदला जा सकता है। इसका असर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है। इसका फायदा बसपा और सपा उठाने का प्रयास कर रही है। बसपा ने गौतमबुद्धनगर से राजपूत प्रत्याशी को टिकट दिया। बीके सिंह टिकट कटने के बाद बसपा ने पहले घोषित प्रत्याशी का टिकट काट कर वहां से राजपूत समाज का प्रत्याशी उतार दिया। ऐसे में राजपूत समाज के समाज अपनी नाराजगी का जवाब देने के लिए विकल्प मिल गया है।


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