कोरोना से प्रभावित कार्यकाल के तीसरे साल में भी कोविंद ने दिखायी सक्रियता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के तीसरे साल का एक तिहाई हिस्सा भले ही कोरोना महामारी की चपेट में रहा, लेकिन उनकी गतिविधि में ज्यादा फर्क नहीं आया

नयी दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के तीसरे साल का एक तिहाई हिस्सा भले ही कोरोना महामारी की चपेट में रहा, लेकिन उनकी गतिविधि में ज्यादा फर्क नहीं आया और उन्होंने तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर अपने कर्तव्यों का सक्रिय निर्वहन किया।
कोरोना महामारी से जंग में श्री कोविंद भी देशवासियों के साथ सक्रियता से जुड़े रहे। उन्होंने कोविड-19 संक्रमण से निपटने में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास को और मजबूती देने के लिए सभी राज्यों के राज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों से दो बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक की। इतना ही नहीं उन्होंने पीएम केयर्स फंड में अपने एक महीने का वेतन भी दान किया।
श्री कोविंद ने एक साल के लिए अपने वेतन का 30 प्रतिशत छोड़ने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय में विभिन्न मदों में कटौती का निर्णय लेकर कोविड-19 की लड़ाई में सरकार को यथासंभव मदद करने का एक उदाहरण पेश किया है। श्री कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद संभाला था। उनके कार्यकाल के तीन साल पूरे हो गये।
सालों भर आगंतुकों से गुलजार रहने वाले राष्ट्रपति भवन पर कोरोना का असर पड़ा है और फिलहाल वहां अपवाद के तौर पर अत्यावश्यक कारणों से आने-जाने वालों को छोड़कर आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है। इसके बावजूद अपने कार्यकाल के तीसरे साल में राष्ट्रपति ने सैनिकों से वैज्ञानिकों और किसानों से लेकर अग्निशमन कार्यकर्ताओं तक प्रतिदिन 20 व्यक्तियों से मुलाकात की। इस कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रपति भवन और राज्यों की यात्राओं के दौरान 6991 व्यक्तियों से वन-टू-वन मुलाकात की।
अपने कार्यकाल के तीसरे साल में श्री कोविंद ने केंद्र सरकार के 48 और राज्यों के 22 विधेयकों पर अपनी मोहर लगायी, जबकि 13 अध्यादेश प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। उन्होंने 11 राज्यपालों की नियुक्ति दी है।


