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कोटा: छात्रों की खुदकुशी कैसे रोकेगी मेटा

कोटा पुलिस ने फेसबुक की मालिकाना कंपनी मेटा के साथ एक ऐसा करार किया है जिसके तहत छात्रों की खुदकुशी रोकने में वह मदद करेगी

कोटा: छात्रों की खुदकुशी कैसे रोकेगी मेटा
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देश के अलग-अलग राज्यों से छात्र राजस्थान के कोटा शहर पहुंचकर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं. कोटा में दर्जनों कोचिंग संस्थान इन छात्र-छात्राओं को तराशकर उन्हें मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार करते हैं. लेकिन, कोचिंग हब के रूप में जाना जाने वाला यह शहर बीते लंबे वक्त से छात्रों की आत्महत्याओं के लिए सुर्खियां बना रहा है.

इंजीनियर या डॉक्टर बनने का सपना लिए देशभर से बच्चे नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) या जेईई (जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा के कोचिंग संस्थानों में दाखिला लेते हैं. प्रवेश परीक्षा की तैयारी और परिवार का इतना दबाव इन छात्रों पर रहता है कि कई बार वे गलत फैसले लेते हुए अपनी जिंदगी ही खत्म कर लेते हैं.

फेसबुक करेगी पुलिस की मदद

अब कोटा पुलिस ने छात्रों की आत्महत्या को रोकने के लिए अहम कदम उठाया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोटा पुलिस ने मेटा के साथ मिलकर एक करार किया है. इसके तहत अगर कोई फेसबुक या इंस्टाग्राम पर तनाव, आत्महत्या के इरादे या खुद को नुकसान पहुंचाने वाले मैसेज, फोटो या वीडियो पोस्ट करता है तो मेटा तुरंत अपने एल्गोरिदम में उसे चिह्नित कर देगी.

अगर मेटा को ऐसी कोई जानकारी दिखती है तो वह तत्काल कोटा पुलिस को अलर्ट करेगी. कंपनी पुलिस के साथ जो जानकारी साझा करेगी उसमें पोस्ट की गई सामग्री का तकनीकी विवरण और उस व्यक्ति का विवरण होगा. इसके बाद कोटा पुलिस इस जानकारी को पूरे राज्य में संबंधित जिले की पुलिस के साथ साझा करेगी. संबंधित जिले की पुलिस टीम वहां जाकर समय पर कार्रवाई करेगी. साथ ही उसके परिवार वालों को भी सतर्क किया जाएगा.

कोटा पुलिस ने अभय कमांड सेंटर स्थापित किया है. इसके तहत सेंटर में आठ घंटे की शिफ्ट में चौबीसों घंटे काम करने वाली एक समर्पित टीम तैनात रहती है, जो आत्मघाती प्रवृत्तियों को इंगित करने अलर्ट पर कार्रवाई करेगी. इसका इस्तेमाल संबंधित क्षेत्र की पुलिस को अलर्ट करने के लिए किया जाएगा ताकि वे समय पर हस्तक्षेप कर सकें.

कोटा में खुदकुशी

कोटा में इस साल अभी तक आठ बच्चों ने खुदकुशी की है. इसी साल अप्रैल में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे 20 साल के छात्र ने अपनी जान दे दी थी. रिपोर्टों के मुताबिक साल 2023 में 26 छात्रों ने आत्महत्या की थी.

भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा आत्महत्या दर है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, साल 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने आत्महत्या की. उसी साल, पूरे भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के छात्रों की 11,396 आत्महत्याएं दर्ज की गईं.

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि घर से दूर रह रहे कई बच्चे अलग-अलग परेशानियों के अलावा अकेलापन भी महसूस करते हैं. कई बार वे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, जिसकी जानकारी न तो कोचिंग संस्थान को होती है और न ही उनके माता-पिता को.


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