समर्थन में हस्ताक्षर के लिए ग्रामीणों को मनाते रहे अफसर
कोरबा ! एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के उपक्षेत्रीय रजगामार परियोजना की खदान क्रमांक 4-5 को पुन: प्रारंभ करने की कवायद एसईसीएल कर रहा है।

0 रजगामार की बंद खदान शुरू करने ग्राम सभा में विरोध
0 ग्रामीणों ने मांगी मूलभूत सुविधाएं, सुनाई खरी-खोटी
कोरबा ! एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के उपक्षेत्रीय रजगामार परियोजना की खदान क्रमांक 4-5 को पुन: प्रारंभ करने की कवायद एसईसीएल कर रहा है। आवश्यक प्रक्रियाओं के तहत विशेष ग्राम सभा का आयोजन शनिवार को गोड़मा और रजगामार में किया गया। ग्राम सभा में अधिकारियों को ग्रामीणों का विरोध और खरी खोटी सुनना पड़ा। मूलभूत सुविधा दिये बगैर खदान प्रारंभ नहीं करने देने की चेतावनी दी गई। वहीं एसईसीएल के अधिकारी अपनी ग्रामसभा को सफल व पूर्ण बताने रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए मिन्नतें करते नजर आये।
रजगामार भूमिगत परियोजना के संचालन हेतु अनुसूचित जनजाति एवं परम्परागत वनवासी अधिनियम 2006 के तहत विशेष ग्राम सभा का आयोजन ग्राम गोड़मा व रजगामार में एसईसीएल रजगामार उपक्षेत्र द्वारा जिलाधीश के आदेशानुसार किया गया। गोड़मा की पूर्व माध्यमिक शाला परिसर में आयोजित ग्राम सभा में ग्रामीणों की उपस्थिति काफी कम देखी गई। यहां लोगों ने विरोध कर मूलभूत सुविधाएं, सडक़, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल बस की सुविधा बढ़ाने की मांग की। बताया गया कि यहां ग्राम सभा को सफल बनाने के लिए आवश्यक उपस्थिति नहीं थी। बहुमत के लिए कम से कम 260 ग्रामीणों का होना जरूरी था जिसके विरूद्ध बमुश्किल 60-70 लोग ही उपस्थित रहे। एक घंटे की सभा के दौरान ग्राम सभा बुलाने का कारण, उद्देश्य बताना भी जरूरी नहीं समझा गया। ग्रामीण इन्हें खरी-खोटी सुनाते रहे वहीं एसईसीएल के अधिकारी रजिस्टर में प्रस्ताव और कार्यवाही विवरण लिखे बगैर ग्रामीणों का हस्ताक्षर कराने का प्रयास करते दिखे। युवाओं और ग्रामीणों ने सुविधा दिये बगैर खदान प्रारंभ करने का विरोध कर हस्ताक्षर से इनकार किया तो उन्हें मनाने की भरपूर कोशिश की गई। ग्राम सभा में रजगामार उप क्षेत्र प्रबंधक शशिधर द्विवेदी, कल्याण अधिकारी विभूति मिश्रा, ललित कौरव, केसला सरपंच श्रीमती मनिरो बाई, पूर्व सरपंच रामसिंह, सचिव रतन सिंह, डिप्टी रेंजर श्री केशरवानी आदि उपस्थित थे। इसके पश्चात शाम 5 से 6 बजे रजगामार बस्ती की प्राथमिक शाला परिसर में विशेष ग्रामसभा हुई जिसमें विधायक श्यामलाल कंवर, कोरबा जनपद अध्यक्ष रेणुका राठिया, सरपंच बृजकुंवर राठिया, उप सरपंच श्रीमती पूनम चौरसिया एवं एसईसीएल के अधिकारी शामिल हुए। यहां ग्रामीणों ने सुविधाएं देने पर ही खदान का विस्तार करने की अनुमति देने की बात कही। ग्राम आमाडाड़, छुईडोड़ा, रजगामार बस्ती के ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 40 वर्षों से खदान चल रही है किन्तु मूलभूत सुविधाएं आज तक नहीं मिली। वर्ष 1991 में अपनी तीन एकड़ जमीन देने वाले सोहन खैरवार को आज तक नौकरी नहीं दी जा सकी है। एसईसीएल पर साफ-सफाई, सडक़ मरम्मत नहीं कराने का भी आरोप लगाया। खनिज न्यास का पैसा स्थानीय स्तर पर खर्च नहीं किये जाने की भी बात कही।
रजगामार की सभा में पहुंचे विधायक
रजगामार क्षेत्र रामपुर विधानसभा के अंतर्गत आता है और होने वाली कथित जनसुनवाई जो कि ग्राम गोड़मा और रजगामार में हुई, जिसके संबंध में विधायक श्यामलाल कंवर ने किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया। यह जरूर बताया कि शुक्रवार की शाम 7-8 बजे एसईसीएल के किसी अधिकारी ने फोन पर कहा था कि कल जनसुनवाई है, आप आ जाएंगे तो चर्चा ठीक से हो जाएगी। लेकिन यह नहीं बताया कि जनसुनवाई कौन करवा रहा है, किसलिए हो रही है। गोड़मा की सभा में विधायक उपस्थित नहीं हुए, किन्तु रजगामार की विशेष ग्राम सभा में उनकी उपस्थिति रही।
बिटुमिन्स कोयला का है भंडार
बताया जा रहा है कि लगभग 6-7 वर्ष पूर्व एसईसीएल की उक्त 4-5 नंबर खदान में पानी भरने और खदान डूब जाने के कारण इस खदान को बंद करना पड़ा। इस खदान में बिटुमिन्स कोयला का भंडार है जो कि पूरे कोरबा जिले की खदानों से निकलने वाले कोयले से काफी उच्च गुणवत्ता वाला कोयला है। खदान को पुन: प्रारंभ करने के लिए यहां का पानी पूरी तरह बाहर निकालना होगा।
डीजीएम से लेकर सर्वेयर तक डटे रहे
ग्राम सभाओं में एसईसीएल रजगामार के उप क्षेत्रीय महाप्रबंधक से लेकर क्लर्क और सर्वेयर यहां तक की चपरासी को भी तैनात किया गया था। एसईसीएल का पूरा स्टाफ यहां मौजूद था और कार्यालयीन कामकाज पूरी तरह ठप रहा। दूसरी ओर ग्रामीणों में इस बात का आक्रोश देखा गया कि किसी तरह की सूचना नहीं दी गई थी और न ही मुनादी कराई गई। यहां तक कि गोड़मा की सभा में जनपद सदस्य, पंचगण, जनपद अध्यक्ष, जनपद सदस्य नहीं पहुंचे थे, क्योंकि उन्हें बुलाया नहीं गया। दूसरी ओर एसईसीएल के ही अधिकारी कार्यवाही रजिस्टर में हस्ताक्षर कराने जुटे रहे जबकि यह कार्य ग्राम सचिव, सरपंच, पंच अथवा रोजगार सहायक को कराना होता है।
शुरू से बनी रही भ्रम की स्थिति
रजगामार की बंद खदान को पुन: प्रारंभ करने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही को लेकर शुरू से भ्रम की स्थिति बनी रही। एक ओर जहां एसईसीएल की अधिकारी वन विभाग द्वारा जनसुनवाई का आयोजन प्रचारित करते रहे तो दूसरी ओर इस तरह की जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों ने कोई जानकारी नहीं होना बताया। ग्राम सभा में अनुमति लेने की प्रक्रिया को जनसुनवाई का नाम दिया जाता रहा वहीं वन विभाग के अधिकारी इस तरह की किसी प्रक्रिया के संंबंध में शुरू से अनजान बनते रहे। अब यह भ्रम की स्थिति क्यों और किसके द्वारा, किस प्रयोजन से निर्मित की जाती रही यह तो संबंधित ही जाने।


