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झारखंड में 3 दिन रेकी कर पुलिस ने पकड़ा आरोपी, 2 की तलाश

कोरबा ! पावर हाउस रोड चौक में संचालित सुनालिया ज्वेलर्स में 15 दिन पहले हथियारों की नोक पर असफल लूट और भागते समय सीएएफ के जवान पर गोली चलाकर उसकी हत्या

झारखंड में 3 दिन रेकी कर पुलिस ने पकड़ा आरोपी, 2 की तलाश
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सुनालिया ज्वेलर्स में लूट व जवान की हत्या का प्रयास का मामला
कोरबा ! पावर हाउस रोड चौक में संचालित सुनालिया ज्वेलर्स में 15 दिन पहले हथियारों की नोक पर असफल लूट और भागते समय सीएएफ के जवान पर गोली चलाकर उसकी हत्या का प्रयास के मामले में पुलिस को सफलता मिली है। 3 में से 1 आरोपी को झारखंड प्रांत स्थित उसके निवास से 3 दिन रेकी करने के बाद पकड़ लिया गया। आरोपी को न्यायालय में पेश कर 3 दिन की पुलिस रिमांड पर पूछताछ के लिए अभिरक्षा में लिया गया है। वारदात का सूत्रधार और एक अन्य सहयोगी अब भी फरार है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तारकेश्वर पटेल, सीएसपी एसएस पैकरा ने संयुक्त रूप से मामले का खुलासा करते हुए बताया कि 26 फरवरी की रात करीब 9.15 बजे सुनालिया ज्वेलर्स में हथियारबंद लूट के मामले में अनेक प्रयासों के बाद मिले सुराग व पुख्ता जानकारी के आधार पर एक टीम झारखंड रवाना की गई थी। वहां 3 दिनों तक रेकी करने के बाद आरोपी धनई उरांव पिता बासु उरावं 20 वर्ष को ग्राम टोटो जिला गुमला से पकड़ा गया। उसके पास से भागते समय सीएएफ जवान मनोज प्रताप सिंह पर गोली चलाने में इस्तेमाल कट्टा और मोबाईल बरामद किया गया। पूछताछ में रंजीत मुंडा व लालू मुंडा दोनों निवासी रांची के साथ मिलकर वारदात करना स्वीकार किया किन्तु ये दोनों फरार हैं। एएसपी ने बताया कि आरोपी धनई को 3 दिन की रिमांड पर लेकर आरोपियों के सामान और कपड़ों की बरामदगी सहित अन्य आवश्यक जानकारी हासिल की जा रही है। मुख्य सूत्रधार रंजीत के पकड़े जाने पर उसके कोरबा से जुड़े और भी खुलासे होंगे।
नदियाखाड़ के जंगल में झोपड़ी था ठिकाना
एएसपी ने बताया कि रांची के जेल में चोरी और हत्या का प्रयास के जुर्म में कैद रंजीत मुंडा से आरोपी धनई की मुलाकात हुई थी। एक अन्य लालू मुंडा पहले से रंजीत का परिचित था और तीनों ने मिलकर योजना बनाई थी। 25 फरवरी को तीनों ट्रेन के जरिये रांची से चांपा और दूसरी ट्रेन से कोरबा तक पहुंचे। सिटी बस में बैठकर बस स्टैंड आये। चूंकि रंजीत इससे पहले कोरबा आ चुका था और यहां से वाकिफ है। रंजीत के बताए अनुसार तीनों राताखार मार्ग होते हुए दर्री क्षेत्र के प्रगतिनगर के पास नदियाखाड़ सूनसान जंगल की ओर गये और विरान झोपड़ी में रूके। 26 फरवरी की शाम 6 बजे तीनों पैदल आये और लालू व धनई पुराना पुल के पास रूक गये। रंजीत ने एक मोटर सायकल चोरी की और मिरर निकलकर नंबर प्लेट निकालकर उल्टाकर दिया। तीनों से शराब पीने के बाद सुनालिया में वारदात को अंजाम दिया। भागते समय सीएएफ जवान को एक गोली धनई व दूसरी रंजीत ने मारी थी।
भागने में आटो और सिटी बस का सहारा
योजना के मुताबिक वारदात में सफल होने पर ये मोटर सायकल से भागते और कहीं बाद में फेंक देते। शोर मचने और पुलिस के आने से ये नाकाम रहे और पैदल भागते समय सुनालिया नहर में कूदकर दूसरी तरफ निकल गये। धनई के मुताबिक वह भागते समय रंजीत व लालू से अलग हो गया और डीडीएम रोड होते हुए टीपीनगर में निर्माणाधीन पॉलम मॉल की ओर निकला व सडक़ पर पहुंचकर आटो से सीएसईबी चौक गायत्री मंदिर के पास उतर गया।
वहां से पैदल पम्प हाउस होते हुए नदियाखाड़ की उक्त झोपड़ी में पहुंचा। पहले से तय था कि बिछडऩे पर तीनों को इसी झोपड़ी में मिलना है। तीनों ने गीले कपड़े यहीं छुपाये और रातभर रहे। सुबह पैदल जंगल से दर्री बरॉज तक पहुंचे व सिटी बस से रेलवे स्टेशन आये और ट्रेन से चांपा और फिर राउरकेला चले गये। वहां से रांची में रंजीत व लालू रूक गये व धनई अपने गांव गुमला चला गया।
एसपी ने दी बधाई, मिलेगा पुरस्कार
चुनौतीपूर्ण मामला सुलझाने पर पुलिस अधीक्षक डी श्रवण ने एएसपी तारकेश्वर पटेल, सीएसपी एएस पैकरा के नेतृत्व में कार्यरत टीम में शामिल टीआई विवेक शर्मा, यदुमणि सिदार, प्रशिक्षु डीएसपी पुष्पेन्द्र नायक, एसआई चन्द्रशेखर बारीक, एसआई चन्द्रवंशी, एसआई केके दुबे, ग्रहण सिंह, एएसआई जितेन्द्र यादव, गणेश राम महिलांगे, प्रधान आरक्षक राम पांडेय, अजय सिंह, गुनाराम सिन्हा, आरक्षक प्रशांत सिंह, चन्द्रशेखर, संतोष तिवारी, लक्ष्मी खरसन, नितेश तिवारी, रवि कुमार चौबे, साइबर सेल दुर्गेश राठौर, आरक्षक डेमन, रेणु, बिलासपुर से आये साइबर विशेषज्ञ एसआई प्रभाकर तिवारी को बधाई दी है। इन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की गई है।
जनता संयम रखे और पुलिस को काम करने दे : एसपी
पुलिस अधीक्षक ने जनता से ऐसी घटनाओं के समय संयम बनाये रखने और पुलिस को अपना काम करने देने के लिए सहयोग करने की अपील की है। एएसपी ने कहा कि घटना के तत्काल बाद जब आरोपियों की पतासाजी और नाकाबंदी आवश्यक थी, कुछ लोगों के द्वारा न्यूसेंस उत्पन्न करने के प्रयास के कारण पुलिस का अमूल्य समय कानून व्यवस्था संभालने में व्यर्थ हो गया।


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