पुल की सुरक्षा के लिए सेतु निगम को पत्र लिखेगा खनिज विभाग
कोरबा ! हसदेव नदी पर बने सर्वमंगला पुल के नीचे पिलर के पास से बड़े पैमाने पर रेत का अवैधानिक उत्खनन कर भंडारित करने के मामले में खनिज विभाग धीरे-धीरे संज्ञान लेता नजर आ रहा है।

लावारिस पड़ी रेत की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस को सौंपा
कोरबा ! हसदेव नदी पर बने सर्वमंगला पुल के नीचे पिलर के पास से बड़े पैमाने पर रेत का अवैधानिक उत्खनन कर भंडारित करने के मामले में खनिज विभाग धीरे-धीरे संज्ञान लेता नजर आ रहा है। विभाग ने रेत खनन से पुल को होने वाले नुकसान के संबंध में सुरक्षा और संरक्षण के लिए सेतु निगम को पत्र लिखने की बात कही है, वही लावारिश पड़े रेत की सुरक्षा का जिम्मा निकटस्थ पुलिस को देने की जानकारी दी गई है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार की शाम से देर शाम तक अज्ञात लोगों के द्वारा राजेन्द्र इन्फ्रास्ट्रक्चर कोरबा की जेसीबी, पोकलेन रेत निकालने एवं हाइवा क्रमांक सीजी 12 एस-3052, सीजी 12 एस 3053 व सीजी 12 एस 4392 रेत परिवहन के लिए यहां लगाने का कार्य किया गया था। हालांकि उत्खननकर्ता नदी से पिलर के पास खोदकर निकाले गये रेत को स्थानीय लोगों के द्वारा किये गये विरोध के कारण ले जाने में सफल नहीं हो सके, किन्तु वादे के मुताबिक उक्त रेत को वापस नहीं में भी नहीं डाला गया। प्रकरण में संबंधितों के खिलाफ तीन दिन बाद भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं हो सकी है। इस बारे में चर्चा करने पर खनिज विभाग के निरीक्षक आरके सोनी ने बताया कि लोगों की सूचना उपरांत खनिज अधिकारी डा. डीके मिश्रा के निर्देश पर वे अमले के साथ सोमवार की देर शाम मौके पर गये थे, किन्तु तब तक उत्खननकर्ता वाहनों के साथ जा चुके थे। दूसरे दिन भी मुआयना किया गया, लेकिन किसी तरह की शिकायत और बयान के अभाव में कार्यवाही संभव नहीं हो सकी है। अखबार में छपे समाचार पर संज्ञान लेकर अग्रिम कार्यवाही की जा रही है। श्री सोनी ने बताया कि उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर सोमवार को सेतु निगम को पत्र लिखा जाएगा। चूंकि रेत का अवैधानिक उत्खनन सेतु निगम के पुल के नीचे हुआ है और पुल के सुरक्षा व संरक्षण का दायित्व सेतु निगम का बनता है। सेतु निगम पुल को नुकसान पहुंचाने के मामले में अपने प्रावधानों के तहत कार्यवाही कर सकता है। यह भी बताया कि नदी के किनारे लावारिश पड़े रेत की सुरक्षा के संबंध में निकटस्थ पुलिस चौकी को कहा गया है। वाहन के प्राप्त नंबरों के आधार पर यह पता चलाया जाएगा कि उत्खनन किसके द्वारा और किसके कहने पर कराया जा रहा था। तथ्यों को एकत्र करने उपरांत उस आधार पर कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा।


