कोल इंडिया ने बनाई 270 खदानों को बंद करने की योजना
कोरबा ! विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कम्पनी कोल इन्डिया 270 खदानों को पूरी तरह बंद करने की तैयारी कर रही है, इसमें अधिकतर भूमिगत खदानें है।

उत्पादकता में कमी और बीमार होने का दिया जा रहा तर्क
कोरबा ! विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कम्पनी कोल इन्डिया 270 खदानों को पूरी तरह बंद करने की तैयारी कर रही है, इसमें अधिकतर भूमिगत खदानें है। इसके लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि इन खदानों में उत्पादकता नहीं के बराबर है और यह बीमार चल रही हंै।
इस संबंध में कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले वर्ष अपने गेवरा प्रवास के दौरान घाटे में चल रहे भूमिगत खदानों को बंद करने का संकेत दिया था। कोल इंडिया के इस निर्णय का व्यापक असर कोरबा जिले के कोरबा, कुसमुंडा, दीपका, गेवरा, बल्गी, सुराकछार सहित अन्य भूमिगत खदानों पर पड़ेगा, क्योंकि यहां पर 80 फीसदी खदानें घाटे में चल रही हंै और इन खदानों को फायदेमंद बनाने के लिए प्रबंधन के पास न कोई योजना है और न कोई रूचि जबकि उन्नत तकनीक और आधुनिक तकनीक से इन खादानों को पूरी तरह फायदे में लाया जा सकता है। एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1972-73 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय 85 फीसदी उत्पादन भूमिगत खदानों से होता था और आज स्थिति यह है कि कोल इंडिया का 94 फीसदी उत्पादन खुली खदान से होता है और मात्र 6 फीसदी उत्पादन भूमिगत खदानों से हो रहा है। प्रबंधन के नकारात्मक रवैया के चलते भूमिगत खदानें दम तोड़ रही हंै। देश का भविष्य भूमिगत खदानें हैं, चूंकि भूमिगत खदानों में लाभ की गुंजाइश कम रहती है और मेहनत के साथ दिमाग भी खपाना पड़ता है इसलिये प्रबंधन आसान रास्ता अख्तियार कर खुली खदानों को बढ़ावा दे रही है जो पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि खुली खदानें पर्यावरण जल,जमीन और जंगल को गम्भीर नुकसान पंहुचा रही हंै, इस पर रोक लगनी चाहिए।
कोयला उत्पादन में चीन से सीख ले भारत
दीपेश मिश्रा ने कहा है कि जब हर मामले में हम पड़ोसी देश चीन से प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं तो कोयला उत्पादन में भी चीन से सीख लेना चाहिए आज दुनिया का सबसे ज्यादा कोयला उत्पादक देश चीन है जो प्रति वर्ष 4500 मिलियन टन उत्पादन कर रहा है और उसमें 85 फीसदी कोयला भूमिगत खदानों से उत्पदित किया जाता है। वहीं भारत में 710 मिलियन टन कोयला उत्पादन होता है जिसमें 94 फीसदी कोयला खुली खदानों से निकाला जाता है। देश में कोयला का विशाल भंडार है जो 104 साल के लिए सुरक्षित है और इसके लिए सरकार को चाहिए कि ऐसी दीर्घकालीन योजना बनाई जाए जिससे अधिकतम कोयला भूमिगत खदानों से निकाल कर देश की जरूरत को पूरा किया जा सके तथा पर्यावरण प्रदूषण जो कि एक गम्भीर चुनौती है उसकी रक्षा की जा सके।


