अधिवक्ता से ठगी करने वाले को 7 वर्ष की सजा
कोरबा ! लंदन से आये सामान का टेक्स चुकाने के नाम पर बेईमानी पूर्वक रूपये जमा करवाने तथा फर्जी नाम के बैंक एकाउंट और फर्जी पासबुक बनाकर कूटरचना करते हुए

कोरबा ! लंदन से आये सामान का टेक्स चुकाने के नाम पर बेईमानी पूर्वक रूपये जमा करवाने तथा फर्जी नाम के बैंक एकाउंट और फर्जी पासबुक बनाकर कूटरचना करते हुए महिला अधिवक्ता को ठगी का शिकार बनाने वाले आरोपी को 7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रार्थीया श्रीमती मीनू त्रिवेदी जोशी के मोबाईल नंबर-9826882338 पर 14 सितंबर 2015 मो.नं. 8130738201 से कॉल आया जिसमें आरोपी द्वारा उसे लदंन से सामान आया है जिसका टेक्स चुकाने अपने एस.बी.आई बैंक नं. 20272660897 तथा एचडीएफसी बैंक के एकाउंट नंबर 50100105134321 में जमा करने को कहा। मीनू द्वारा आरोपी के उक्त एकाउन्ट नंबर में क्रमश: 75,500 तथा 25,500 रूपये जमा करा दिया गया। उसके बाद पुन: 15 सितंबर 2015 को आरोपी द्वारा मीनू को काल करके 2,99,000 रूपये उक्त एकाउन्ट में जमा करने कहा गया तब धोखाधड़ी का पता चला। मीनू की लिखित शिकायत पर पुलिस के साइबर सेल द्वारा मोबाईल काल डिटेल तथा एचडीएफसी बैंक के उक्त एकाउंट का डिटेल प्राप्त का आरोपी को तलब किया गया। आरोपी ने पुलिस के समक्ष स्वंय का आधार कार्ड, एसबीआई का के्रडिट कार्ड, एचडीएफसी बैंक का पासबुक तथा एक चेक संजय गुप्ता के नाम का पेश किया। अपराध दर्ज कर विवेचना में पाया गया कि आरोपी नरेन्द्र जोनवाल ने संजय गुप्ता के नाम से पेन कार्ड, आधार कार्ड बनवाकर संजय गुप्ता के नाम पर एकाउन्ट नंबर 50100105134321 एचडीएफ.सी बैंक में खोलवाकर कूटरचना किया और संजय गुप्ता के नाम पर फर्जी एकाउन्ट बनाकर मीनू से धोखाधड़ी की। विचाराधीन मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती उर्मिला गुप्ता ने आरोपी नरेन्द्र जोनवाल पिता गंगाराम जोनवाल, मूल निवासी गंगापुर सिटी बरेली बाजार थाना व जिला करोली, राजस्थान, हाल मुकाम-सी-446 टैगोर गार्डन न्यू दिल्ली 27, थाना ख्याला जिला नई दिल्ली को धारा 420, 467, 468 भादवि में दोषसिद्ध पाये जाने पर 7 वर्ष के कठोर कारावास व 15 हजार रूपये का अर्थदंड से दंडित किया है।
न्यायालय ने माना गंभीर अपराध
न्यायालय ने इस तरह के अपराध को गंभीरतम मानते हुए छल को रोकने कठोर सजा दी है। आदेश में कहा गया है कि दस्तावेजों की कूटरचना कर, फर्जी एकाउन्ट खोलकर लोगों को लालच देकर उनके पैसे को धोखा देकर हड़पने की घटनायें बढ़ती जा रही हंै। आरोपी द्वारा प्राथिया से राजीनामा भी किया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि आरोपी काफी चालाक है और उसका ऐसा मानना था कि राजीनामा हो जाने से केस खत्म हो जायेगा, जबकि राजीनामा की अनुमति न्यायालय द्वारा नहीं दी गई है। आरोपी द्वारा जिस प्रकार प्रार्थी के साथ छल किया गया है, उसी प्रकार अन्य व्यक्तियों के साथ छल किया जाना सम्भावित है।
ऐसी स्थिति में अपराध की गंभीर प्रकृति को देखते हुए तथा समाज में इस प्रकार के छल को रोकने के लिए आरोपी को विचारोपरान्त कठोर कारावास से दण्डित किया गया है।


