कैसे सफल हो लोक सुराज, जब पंचायत कार्यालय में जड़ा हो ताला
कोण्डागांव ! जहां एक ओर जिला प्रशासन में बैठे आला अधिकारी द्वारा आमजनों की मांगों, समस्याओं एवं शिकायतों के निराकरण किए जाने हेतु शासन द्वारा निर्धारित प्रयास लोक सुराज अभियान 2017

जिले में 27 तक मिले कुल 21720 आवेदन, लोक सुराज अभियान 2017 के तहत
अभियान के प्रथम चरण में आवेदन देने लोगों की उमड़ी भीड़
कोण्डागांव ! जहां एक ओर जिला प्रशासन में बैठे आला अधिकारी द्वारा आमजनों की मांगों, समस्याओं एवं शिकायतों के निराकरण किए जाने हेतु शासन द्वारा निर्धारित प्रयास लोक सुराज अभियान 2017 ‘‘लक्ष्य समाधान का‘‘ को सफल करने के लिए जमीनी स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों सहित ग्राम पंचायतों के सचिवों, सरपंचों तक के लिए दिशा निर्देश जारी कर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति तक की जाकर यथासंभव जगहों पर स्वयं निरीक्षण हेतु पहुंचने का प्रयास भी किया जा रहा है। वहीं कुछ ग्राम पंचायतों में पदस्थ सचिव, शासन द्वारा निर्धारित प्रयास लोक सुराज अभियान 2017 ‘‘लक्ष्य समाधान का‘‘ के प्रति लापरवाह नजर आ रहे हैं, ऐसे में शासन की आमजनों को लाभान्वित किए जाने हेतु बनाई गई उक्त महत्वाकांक्षी योजना के सफल होने पर ही प्रश्नचिन्ह खडा होने लगा है। ज्ञात हो कि शासन द्वारा आमजनों हेतु एक से बढकर एक जनकल्याणकारी योजना बनाई जाकर उन योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाकर आमजनों को आर्थिक व सामाजिक रूप से समृद्ध करने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। इसके बावजुद अनेक आमजन विकास हेतु बनाई गई योजनाओं का लाभ लेकर समृद्धि से वंचित रह रहे हैं, इसके अतिरिक्त आमजनों के सामने आने वाली अन्य त्वरित समस्याओं का समाधान निकालने के लिए शासन द्वारा लोक सुराज अभियान का दौर विगत कई वर्षों से चलाया जा रहा है। उक्त क्रम में इस वर्ष भी शासन द्वारा लोक सुराज अभियान 2017 ‘‘लक्ष्य समाधान का‘‘ के नए नाम से एक महत्वपूर्ण अभियान चला रही है। उक्त अभियान तीन चरणों में किया जाकर पहले चरण में आमजनों से उनकी मांगों व समस्याओं के आवेदन लेने के लिए आयोजित किया गया, जो कि 26 से 28 फरवरी तक चला। इन 3 दिनों में जिला प्रषासन से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 72 हजार से अधिक आवेदन मिले। उक्त आवेदनों का आंकड़ा और भी अधिक पहुंच सकता था, यदि कुछ पंचायत स्तर के कर्मी अपने कार्य के प्रति लापरवाही ना बरते होते तो। लापरवाही बरतने का एक मामला विकासखण्ड कोण्डागांव के ग्राम पंचायत बोरगांव में भी देखने को मिला जहां लोक सुराज के अंतिम दिन 28 फरवरी को दिन में 11 बजे तक ग्राम पंचायत कार्यालय खुला ही नहीं था, समाचार संकलन हेतु प्रेस प्रतिनिधियों के पहुंचने के बाद रोजगार सहायक सचिव ने 11 बजे के बाद पंचायत का ताला खोला तब तक कई ग्रामीण अपने आवेदन के साथ वापस लौट चुके थे। जब रोजगार सहायक सचिव से सरपंच सचिव के पंचायत भवन में न होने के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि ग्राम पंचायत बोरगांव में नाली निर्माण का कार्य चल रहा है, सरपंच सचिव वहीं गए हुए हैं। जब प्रेस प्रतिनिधियों ने नाली निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से जानकारी लिया कि सरपंच सचिव कहां हैं तो उन्होंने बताया कि सरपंच साढे 10 बजे यहां से जा चुका है और सचिव यहां आया ही नहीं। मजदूरों से पूछने पर कि क्या लोक सुराज अभियान की जानकारी देने हेतु ग्राम पंचायत द्वारा मुनादी कराई गई थी तो उन्होंने बताया कि नहीं। उन्हें यह भी नहीं पता कि लोक सुराज अभियान में किस तरह का आवेदन दिया जाना है। ग्राम पंचायत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य में लगे मजदूरों व राजमिस्त्री आदि से पूछने पर ज्ञात हुआ कि अक्टूबर 2016 में बनाए जा चुके सीसी सडक का मजदूरी भुगतान उन्हें अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। कुल मिलाकर यदि पंचायत स्तर के कर्मियों द्वारा अपने कार्य के प्रति लापरवाही न बरती गई होती तो संभवत: कई ग्रामीणजन लोक सुराज में आवेदन देने से न चुके होते और 3 दिनों में प्राप्त आवेदनों की संख्या 72 हजार के लाख से भी अधिक पहुंच गई होती। इस मामले में कलेक्टर समीर विश्नोई का कहना है कि समय से पंचायत कार्यालय ना खोलना लापरवाही है और ऐसा लापरवाही करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।


