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कोलकाता: मुआवजे के पैसे का इस्तेमाल चैरिटी के लिए करेंगी बबीता सरकार

राज्य के एक मंत्री की बेटी के स्थान पर उच्च माध्यमिक राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में नियुक्त की जाने वाली बबीता सरकार ने अपने मुआवजे की राशि को धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करने की इच्छा जताई है

कोलकाता: मुआवजे के पैसे का इस्तेमाल चैरिटी के लिए करेंगी बबीता सरकार
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कोलकाता। राज्य के एक मंत्री की बेटी के स्थान पर उच्च माध्यमिक राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में नियुक्त की जाने वाली बबीता सरकार ने अपने मुआवजे की राशि को धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करने की इच्छा जताई है।

अदालत के आदेश के अनुसार, सरकार को बर्खास्तगी से पहले मंत्री की बेटी अंकिता अधिकारी द्वारा वेतन के रूप में प्राप्त हुई पूरी राशि मुआवजे के रूप में प्राप्त होगी। हालांकि, सरकार उस पैसे को व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए खर्च नहीं करना चाहती हैं, क्योंकि उन्होंने स्कूल में अपनी सेवाओं के लिए इसे अर्जित नहीं किया है। यही वजह है कि वह उक्त धनराशि को अपने पास रखने के बजाय इसे धर्मार्थ कार्यों के लिए उपयोग में लाना चाहती हैं।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को दो किश्तों में कूचबिहार जिले के स्कूल से प्राप्त पूरे वेतन का भुगतान करना है। अंकिता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को अपनी पहली किस्त का भुगतान लगभग 8,00,000 रुपये कर दिया है, जिसे अगले महीने तक सरकार को जमा किया जाना है।

हालांकि उस राशि को प्राप्त करने के लिए उत्सुक, सरकार धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए पैसा खर्च करना चाहती हैं। सरकार ने कहा, "इस आधार पर मुझे जो राशि प्राप्त होगी, वह वो नहीं है, जो मैंने एक शिक्षक के रूप में अपनी सेवा प्रदान करते हुए अर्जित की है। इसलिए, मैं उस पैसे को किसी निजी उद्देश्य के लिए खर्च नहीं करना चाहती। बल्कि मैं धर्मार्थ या समाज कल्याण कार्यों पर पैसा खर्च करना चाहती हूं।"

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, अंकिता अधिकारी की बर्खास्तगी के कारण कूचबिहार जिले के इंडिया गर्ल्स हाई स्कूल में खाली हुए पद पर बबीता सरकार को नियुक्ति मिलेगी। संयोग से अंकिता ने अपनी शिक्षा उसी स्कूल से पूरी की है।

इस बीच, सोशल मीडिया पर सरकार की तारीफों की बाढ़ सी आ गई है, जहां हर कोई उन्हें उनके लड़ने के जज्बे के लिए बधाई दे रहा है। उनकी प्रशंसा करने वाले दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अन्याय के खिलाफ संघर्ष को भाग्य की विडंबना के रूप में स्वीकार किए बिना एक उदाहरण स्थापित किया है। सोशल मीडिया पर लोग कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की तारीफों के पुल भी बांध रहे हैं, जिन्होंने इस मामले में आदेश पारित किया था।


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