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केएमसी चुनाव : 7 तृणमूल पार्षदों को 90 फीसदी से ज्यादा वोट मिले

पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को न केवल 70 फीसदी वोट मिले और 134 सीटें मिलीं

केएमसी चुनाव : 7 तृणमूल पार्षदों को 90 फीसदी से ज्यादा वोट मिले
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को न केवल 70 फीसदी वोट मिले और 134 सीटें मिलीं, बल्कि सत्ताधारी दल के सात पार्षदों ने 90 फीसदी वोट पाकर एक रिकॉर्ड बनाया। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के सात पार्षदों को मिले मतों का 90 फीसदी और 24 उम्मीदवारों को 80 फीसदी से अधिक मत मिले।

राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, गार्डन रीच इलाके के वार्ड 134 के शम्स इकबाल को 98.28 फीसदी वोट मिले हैं, जो सभी पार्षदों में सबसे ज्यादा है। इकबाल को जहां 24,708 वोट मिले, वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार कैसर अहमद को केवल 418 वोट ही मिले।

इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस के कम से कम सात पार्षद ऐसे हैं जो 90 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने में सफल रहे। वार्डवार नतीजे बताते हैं कि मंजूर इकबाल को सेंट्रल कोलकाता के वार्ड नंबर 71 में 91.83 फीसदी वोट मिले।

वार्ड संख्या 57 में जीवन साहा को 90.60 प्रतिशत और वार्ड संख्या 54 में अमीरुद्दीन को 91.8 प्रतिशत मत मिले। तृणमूल के अन्य उम्मीदवारों- सुनंदा सरकार, शांति रंजन कुंडू और आलोकानंद दास को भी 90 प्रतिशत से अधिक मत मिले।

इसके अलावा कम से कम 24 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो केएमसी चुनाव में इतिहास रचते हुए 80 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रहे हैं।

पार्टी ने पहले ही न केवल 134 सीटें जीतकर, बल्कि 72 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर अपने पक्ष में लाकर एक रिकॉर्ड बनाया है।

राज्य चुनाव आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का वोट शेयर 72.1 फीसदी है, जबकि विपक्षी वाम मोर्चा दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सका।

इस चुनाव में भाजपा ने 9.2 प्रतिशत मत हासिल किए, जबकि कांग्रेस मात्र 4.1 प्रतिशत वोट पाकर राजनीतिक रूप से महत्वहीन हो गई। दिलचस्प बात यह है कि वाम मोर्चा 11.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

एसईसी के एक अधिकारी ने कहा कि नियम है कि न्यूनतम 10 प्रतिशत वोट शेयर और न्यूनतम 14 सीटें जीतने वाली पार्टी को विपक्ष के रूप में मान्यता दी जाएगी, लेकिन मौजूदा स्थिति में, कोई विपक्षी पार्टी यह दर्जा पाने की हैसियत में नहीं है।


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