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केके का निधनः ‘कल हम रहें या ना रहें...’ गाते-गाते स्टेज से ही चले गए

जाने-माने भारतीय गायक केके का कोलकाता में एक कार्यक्रम के बाद निधन हो गया.

केके का निधनः ‘कल हम रहें या ना रहें...’ गाते-गाते स्टेज से ही चले गए
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अपनी वेबसाइट ‘द मसमेराइजर' पर केके ने लिखा था, "जब कोई कलाकार स्टेज पर होता है वह एक खास तरह की ऊर्जा महसूस करता है. वह फिर चाहे किसी भी हालत में क्यों ना हो, जब मैं मंच पर होता हूं तो मैं सब कुछ भूल जाता हूं और बस परफॉर्म करता हूं.”

मंगलवार को यही हुआ जब वह कोलकाता के एक ऑडिटोरियम में परफॉर्म कर रहे थे. कॉन्सर्ट के दौरान ही वह बीमार हो गए. मध्यांतर के दौरान उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की थी लेकिन फिर भी कार्यक्रम पूरा किया. उसके बाद वह होटल गए, जहां उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और वह बेहोश होकर गिर गए. उन्हें स्थानीय सीएमआरआई अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि पहले ही उनका निधन हो चुका था.

1999 में अपनी एलबम ‘पल' से गायकी की दुनिया में धमाल मचाने के साथ शुरुआत करने वाले केके ने हिंदी सिनेमा में पार्श्व गायन की दुनिया में भी खूब नाम कमाया. लेकिन मंच पर होना और गाना उन्हें विशेष रूप से पसंद था. उन्होंने हिंदी के अलावा, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी और बांग्ला में भी गाने गाए थे.

हर ओर उदासी

केके अपने जाने के साथ संगीत जगत को ही नहीं, दुनियाभर में बहुत से लोगों को उदास कर गए. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर पर लिखा, "केके के नाम से मशहूर जाने माने गायक कृष्णकुमार कुन्नथ के असमय निधन से बहुत उदासी हुई. उनके गीतों ने विविध भावनाओं को शब्द दिए और हर उम्र के लोगों के मन को छुआ. हम उन्हें उनके गीतों के जरिए हमेशा याद रखेंगे. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं.”

बॉलीवुड जगत से कई अदाकारों और गायकों ने केके के निधन पर शोक जाहिर किया है. एक्टर अक्षय कुमार ने लिखा, "केके के इस तरह से निधन बहुत आघात लगा है. कितना बड़ा नुकसान है.”

अन्य जानेमाने गायक पापोन अंगराग ने कहा, "जिंदगी कितनी अनिश्चित है. मेरे लिए तो यह समझ पाना ही मुश्किल है. ईश्वर उनके परिवार को शक्ति दे. केके, भाई तुम बहुत याद आओगे. तुम, तुम्हारी आवाज और तुम्हारे गीत हमेशा हमारे साथ रहेंगे.”

केके का जीवन

केके का पूरा नाम कृष्णकुमार कुन्नथ था. वह 23 अगस्त 1968 को दिल्ली में एक मलयाली परिवार में जन्मे थे. उन्होंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की थी. उन्होंने संगीत की दुनिया में अपना करियर विज्ञापनों के लिए आवाज देने से शुरू किया था. चार साल में उन्होंने 11 भाषाओं के 3,500 से ज्यादा जिंगल गाए.

फिल्मों में उनकी शुरुआत एआर रहमान के साथ हुई लेकिन प्रसिद्धि उन्हें अपनी एलबम ‘पल' से मिली, जिसमें उनका गाया ‘हम रहें या ना रहें कल...' अपने समय का सबसे प्रसिद्ध गीत बन गया था.

केके ने संगीत की औपचारिक शिक्षा नहीं पाई थी और अपने अभ्यास से ही ऊंचाइयों को छुआ था. 1994 में मुंबई जाने से पहले उन्होंने छह महीने तक मार्किटिंग एग्जिक्यूटिव के रूप में भी काम किया था. उन्होंने हम दिल दे चुके सनम, देवदास, वो लम्हे, ओम शांति ओम, बचना ऐ हसीनो, आशिकी-2 और बजरंगी भाईजान जैसी चर्चित फिल्मों के गीत गाए. उन्हें छह बार फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन मिला लेकिन कभी अवॉर्ड नहीं मिला.


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