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शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभाग वितरण पर 'किच-किच'

मध्य प्रदेश में लंबी जद्दोजहद के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार आखिरकार हो ही गया, मगर अब विभाग वितरण को लेकर 'किच-किच' मची हुई है।

शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभाग वितरण पर किच-किच
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भोपाल । मध्य प्रदेश में लंबी जद्दोजहद के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार आखिरकार हो ही गया, मगर अब विभाग वितरण को लेकर 'किच-किच' मची हुई है। किसे कौन सा विभाग दिया जाए, इसके लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक में मंथन हो रहा है।

राज्य में सत्ता बदलाव हुआ और भाजपा के हाथ में सत्ता आई। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तीन माह से अधिक का वक्त गुजरने के बाद मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार हो पाया है। पहला विस्तार चौहान के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक माह बाद हुआ था। पूर्व में जिन पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी उनके पास दो-दो विभाग तक है।

मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है, जिनमें 20 कैबिनेट और आठ राज्य मंत्री हैं। इन मंत्रियों को विभागों का वितरण किया जाना है, लिहाजा जिन मंत्रियों के पास दो विभाग हैं, उनका एक-एक विभाग छिन सकता है। एक तरफ जहां विभाग छिनने की आशंका से परेशान मंत्री अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूसरी ओर नए मंत्री मनचाहा विभाग चाह रहे हैं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग दिलाना चाहते हैं, जिनका सीधा वास्ता आम आदमी से है। सिंधिया के 11 समर्थक मंत्री बनाए गए हैं और सिंधिया की ओर से ग्रामीण विकास, पंचायत, महिला बाल विकास, सिंचाई, गृह, परिवहन, जनसंपर्क, खाद्य आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभागों को मांगा गया है।

सूत्रों का कहना है कि मंत्रियो के बीच विभागों का वितरण किए जाने से पहले मुख्यमंत्री चौहान दिल्ली भी जा सकते हैं। उनकी दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हो सकती है। इसके बाद ही विभागों का वितरण संभव है।

कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने मंत्रियों के विभागों का वितरण दो दिन बाद भी न हो पाने पर तंज कसा है और कहा कि "मप्र में रिमोट कंट्रोल से संचालित कमजोर सरकार है। 14 का रिमोट ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ, तो बाकी का अलग-अलग गुटों के नेताओं के पास है। अलग-अलग नेता अपने समर्थकों को मलाईदार विभाग के लिए दबाव बनाए हुए हैं इसलिए विभागों का बटवारा नहीं हो पा रहा है। यह सरकार प्रदेश के लिए बोझ है जो जल्द ही गिर जाएगी।"

वहीं राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि मंत्रिमंडल मे विभागों का वितरण दूरगामी रणनीति का हिस्सा है। सिंधिया अपने समर्थकों को महत्वपूर्ण विभाग दिलाना चाहते हैं, ताकि उनसे जुड़े कार्यकर्ताओं की राजनीतिक और आर्थिक हैसियत को बढ़ाया जा सके। आने वाले समय में जिला स्तर पर भाजपा भी ठीक वैसी ही नजर आ सकती है जैसी कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आती है।


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