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किसान मुक्ति संसद...अन्नदाता के कदम सड़कों पर और थम गया यातायात

राजधानी में रामलीला मैदान से संसद की ओर अन्नदाताओं ने कदम क्या बढ़ाए दिल्ली की सड़कों पर लोगों के कदम थम गए

किसान मुक्ति संसद...अन्नदाता के कदम सड़कों पर और थम गया यातायात
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नई दिल्ली। राजधानी में रामलीला मैदान से संसद की ओर अन्नदाताओं ने कदम क्या बढ़ाए दिल्ली की सड़कों पर लोगों के कदम थम गए। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 19 राज्यों के दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा पूरी करने के बाद आज दिल्ली में किसान मुक्ति संसद शुरू हुई और इसमें भारी संख्या में किसान पहुंचे। सुबह से ही हजारों की संख्या में किसान रामलीला ग्राउंड, अम्बेडकर भवन, गुरूद्वारा रकाबगंज, विभिन्न रेलवे स्टेशनों से लाल-हरे-पीले-नीले झंडे लेकरे नारेबाजी करते हुए दिल्ली की सड़कों पर होते हुए किसान मुक्ति संसद में पहुंचने लगे।

यह पैदल मार्च सप्ताह के पहले दिन दिल्लीवासियों पर कुछ भारी पड़ी और यातायात जाम के लिए सदैव तैयार दिल्लीवासियों के वाहन आज फिर थम गए। किसान भी थे कि प्रदर्शन से पहले मंदसौर से अब तक विभिन्न पुलिस गोली चलाने में शहीद हुए किसानों, आत्महत्या करने वाले किसानों, यवतमाल में कीटनाशक के कारण 32 शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद आगे बढ़े। सबको गुस्सा इस बात पर था कि प्रधानमंत्री ने किसानों के वायदे कि खेती का कर्ज माफ ी, फसल की लागत का डेढ़़ गुना मूल्य दिलाने का वादा किया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। आत्हत्या करने वाले किसान परिवारों की 545 महिलाओं एवं महिला किसानों की महिला संसद की अध्यक्षता नर्मदा बचाओ आंदोलन-जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की सुश्री मेधा पाटकर ने कर रही थी और उन्हें सुनने वालों में भी सड़क पर जोश दिख रहा था।

किसानों, खेतिहर मजदूरों, आदिवासियों, भूमिहीनों, बटाईदारों, मछुआरों के सड़क पर उतरने से कनाट प्लेस, आसफ अली रोड, राजेंद्र नगर, पहाडग़ंज, आईटीओ, पटेल नगर से झंडेवालान होते हुए कई रास्तों पर जाम लग गया। किसानों की कदमताल रंजीत सिंह फ्लाइओवर पर हुई तो पूरा यातायात ठप हो गया। बाराखंबा रोड, टॉलस्टाय मार्ग, बाबा खडग सिंह मार्ग, शिवाजी स्टेडियम को जाने वाले रास्ते भी थमे हुए थे। जहां देखों वहीं तालियों की गडग़डाहट के बीच अन्नदाता सिर पर रखे पोटली, हाथों में रंग-बिरंगे झंडों के साथ दिख रहे थे। ऑफिस जा रहे राजेश्वर बताते हैं-''यातायात पुलिस इसे बेहतर तरीके से मैनेज कर सकती थी। लेकिन इन किसानों की तरह हम भी परेशान हो रहे हैं उन्हें क्या?’’


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