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किसान महापंचायत बना विपक्षी मंच, बिना नतीजे के खत्म

दिल्ली में हुई हिंसा के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होंने के बाद भाकियू का रूख बदल गया

किसान महापंचायत बना विपक्षी मंच, बिना नतीजे के खत्म
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लखनऊ। दिल्ली में हुई हिंसा के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होंने के बाद भाकियू का रूख बदल गया। पहले धरना खत्म का ऐलान करने वाले नरेश टिकैत ने आज किसानों के पक्ष में एक महापंचायत बुलाई थी। लग रहा था इससे कोई बड़ा निर्णय निकेलगा। लेकिन मंच से सत्तारूढ़ दल के खिलाफ रहने वाले सारे विपक्षी नेता एकजुट थे। ऐसा लग रहा था कि यह किसान पंचायत न होकर कोई विपक्षी एकता मंच है। महापंचायत में कोई किसानों के लिए ठोस निर्णय नहीं निकल पाया। आगे की कोई रूपरेखा भी नजर नहीं आयी है। हां इतना जरूर है कि इस मंच से रालोद की खोयी जमीन वापस दिलाने की दिलासा जरूर दिलाई गई है।

किसान यूनियन के मुखिया ने 2002 का हवाला देकर पंचायत में आए लोगों को झकझोरने का प्रयास जरूर किया है। लेकिन यह कितना सफल होगा अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

कहने को तो भाकियू गैर राजनीतिक संगठन है। पर मौजूदा समय में पूरा का पूरा आंदोलन राजनेताओं ने हाईजैक कर लिया है। आप जैसी विशुद्घ शहरी पार्टी से लेकर सपा, कांग्रेस सब सहानुभूति टिकैत के साथ दिखाते नजर आए। चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजित सिंह और अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी तथा आप पार्टी के मनीष सिसोदिया भी किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखा रहे हैं।

हालांकि पंचायत में जिस प्रकार से टिकैत का बयान चौधरी अजीत सिंह के पक्ष में था। इससे यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि आगे चलकर वह हमेशा की तरह उनकी बारगेन करने की कुछ गुंजाइश बन सकती है।

नरेश टिकैत ने कहा कि, "चौधरी अजित सिंह को लोकसभा चुनाव में हराना हमारी भूल थी। हम झूठ नहीं बोलते हम दोशी हैं। इस परिवार ने हमेशा किसानों के सम्मान की लड़ाई लड़ी है, आगे से ऐसी गलती ना करियो।"

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से टकराने की हिम्मत केवल भाकियू ही कर सकती है, कोई मुगालता पाल के देख लो, आज शर्म के मारे भाजपा नेता अपनी गाड़ी पर झंडा लगाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने गाजीपुर का धरना जारी रहने की घोषणा करते हुए कहा कि किसान लगातार वहां जाते रहेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि पश्चिमी यूपी की सियासत किसानों से जुड़ी हुई है। कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि कल राकेश टिकैत भावुक होने के बाद चौधरी अजीत सिंह ने उनसे बात की। और जयंत धरने और महापंचायत पर भी पहुंचे। हालांकि आप और कांग्रेस भी इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। हलांकि पंचायत राकेश टिकैत के साथ अभद्र व्यवहार को लेकर थी। इसमें किसानों की सहानुभूति को भुनाने के लिए सभी राजनीतिक दल आगे आ रहे हैं।

भाजपा के प्रदेष मंत्री डा़ चन्द्रमोहन कहते हैं कि विपक्षी दल किसानों को बहकाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। जबकि मोदी और योगी सरकार मिलकर किसान हितों की पूरी प्रतिबद्घता दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से दिल्ली में किसान आंदोलन के नाम पर राष्ट्र ध्वज का अपमान किया और हिंसा का तांडव किया है। वह लोग किसानों के नाम पर ढोंग न करके अपने पाप का प्रयश्चित करें।


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