किडनी दान कर एक दूसरे के पति की जान बचाई
जेपी अस्पताल ने चिकित्सा के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता का उदाहरण पेश किया है, हिन्दू और मुस्लिम महिलाओं ने अपने पति को बचाने के लिए एक दूसरे को किड़नी दानकर अपने पति को बचाया है
ग्रेटर नोएडा। जेपी अस्पताल ने चिकित्सा के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता का उदाहरण पेश किया है, हिन्दू और मुस्लिम महिलाओं ने अपने पति को बचाने के लिए एक दूसरे को किड़नी दानकर अपने पति को बचाया है।
ग्रेटर नोएडा निवासी 29 वर्षीय मरीज इकराम मेरे पास और बागपत निवासी 36 वर्षीय राहुल, जेपी अस्पताल नोएडा में वरिष्ठ किडनी सर्जन डॉ. अमित देवड़ा के पास अपनी किडनी संबंधित बीमारी की जांच कराने आए। जांच में यह पता चला कि दोनों की किडनियां पूरी तरह खराब हो गई थीं और प्रत्यारोपण के लिए दोनों को एक-एक दाता की जरूरत थी।
संयोग से दोनों मरीजों के परिवार का कोई भी सदस्य किडनी दाता के लिए उपयुक्त नहीं था। केवल इकराम की 24 वर्षीय पत्नी रजिया और राहुल की 38 वर्षीय पत्नी पवित्रा ही किडनी दाता के रूप में योग्य थीं। इसके बाद भी दाता और प्राप्तकर्ता (रजिया-बी पॉजिटिव, इकराम-ए पॉजिटिव) (राहुल-बी पॉजिटिव, पवित्रा-ए पॉजिटिव) के बीच ब्लड ग्रुप एक नहीं होने के कारण दोनों अपने-अपने पति को किडनी दान नहीं कर सकती थीं।
दोनों परिवार पूरी तरह नाउम्मीद हो चुके थे और डायलिसिस के भरोसे, किसी तरह मरीजों की जिंदगी बचाई जा रही थी।
ऐसी स्थिति में जेपी हॉस्पिटल ने स्वास्थ्य सेवा धर्म निभाने के साथ-साथ अपनी तरफ से अतुलनीय भूमिका का निर्वहन करते हुए न सिर्फ इकराम और राहुल के जीवन को सुरक्षित करने के नामुमकिन कार्य को सफल कर दिखाया बल्कि एक साथ दोनों परिवारों के दीपक को बुझने से भी बचाया।
डॉक्टर्स की टीम ने दोनों परिवारों को किडनी विनिमय प्रत्यारोपण प्रक्रिया के बारे में समझाया। दोनों महिलाओं ने आगे आकर किडनी दान करने का निर्णय लिया। इसके बाद अगली प्रक्रिया के तहत करीब 5 घंटे चले ऑपरेशन में इकराम की पत्नी रजिया की किडनी राहुल को और राहुल की पत्नी पवित्रा की किडनी इकराम को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की गईं।
जेपी हॉस्पिटल के सी.ई.ओ. डॉ. मनोज लूथरा ने कहा कि इकराम पिछले एक साल से और राहुल पिछले तीन महीने से डायलिसिस कराने को मजबूर था। दोनों परिवारों के पास कोई दाता नहीं होने के कारण दोनों मरीज की जान खतरे में थी।
जेपी हॉस्पिटल ने इस सफल किडनी प्रत्यारोपण के माध्यम से मानव धर्म तथा चिकित्सकीय धर्म को एक साथ निभाया और दोनों मरीजों की जिंदगी बचाकर एक नई उपलब्धि हासिल की।
यह सफलता किडनी प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमित देवड़ा, डॉ. मनोज अग्रवाल, डॉ. अब्दुल मनन एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल भट्ट, डॉ. भीम राज, डॉ. हारूल को मिली।


