रबी को पानी देने से खरीफ पर मंडराया खतरा
सावन का महिना बीतने पर है पर गंगरेल बांध कमांड क्षेत्र में आने वाले अधिकतर ग्रामों में अवर्षा की स्थिति के चलते फसल बचाने गंगरेल से पानी छोडऩे की आवाज उठने लगी है पर गंगरेल की हालत पतली है
रायपुर। सावन का महिना बीतने पर है पर गंगरेल बांध कमांड क्षेत्र में आने वाले अधिकतर ग्रामों में अवर्षा की स्थिति के चलते फसल बचाने गंगरेल से पानी छोडऩे की आवाज उठने लगी है पर गंगरेल की हालत पतली है। ग्रीष्मकालीन रबी धान हेतु पानी देने के बाद तकरीबन खाली पड़े इस बांध में अब तक की वर्षा के बाद महज 41 प्रतिशत पानी इकट्टठा हो पाया है निस्तारी व पेयजल सुरक्षित रखने की प्राथमिकता के चलते वर्तमान खरीफ धान की फसल पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है।
ज्ञातव्य हो कि अवर्षा की स्थिति के चलते रोपाई व बियासी का काम ठप्प पड़ा हुआ है। खेतों में खरपतवार तेजी से उग व फैल रहे हैं तथा खेत गीले न होने की वजह से खरपतवार नाशक दवाईयां का भी न तो उपयोग हो पा रहा है और न ही खाद का छिड़काव ही हो पा रहा है, स्थिति उठने लगी है। जल उपभोक्ता संस्था के पूर्व अध्यक्ष रहे थानसिंग साहू, चिंता वर्मा, हिरेश चंद्राकर, प्रहलाद चंद्रंशेखर, धनीराम साहू, तुलाराम चंद्राकर, गोविंद चंद्राकर, भारतेंदू साहू, पुसऊ साहू, संतलाल बघेल, मनमोहन गुप्ता, सहित सुरेन्द्र नशीने, सुखीराम साहू, भूखन साहू, फवीन्द्र वर्मा, शिव चंद्राकर, रामावतार दुबे आदि ने भी आरंग तहसील क्षेत्र के ग्रामों में सूखे की स्थिति को देखते हुए गंगरेल से पानी छोडऩे की मांग की है।
इधर गंगरेल की हालत शोचनीय है। संभावना भादो माह में अच्छी बरसात होने की है पर संभावना के आधार पर वर्तमान अवर्षा की स्थिति को देखते हुये निस्तारी एवं पेयजल की कीमत पर बांध का गेट खोलना फिलहाल जोखिम भरा काम होगा। इधर किसान संघर्ष समिति के संयोजक एवं रायपुर जिला जल उपभोक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष भूपेन्द्र शर्मा का कहना है कि ग्रीष्मकालीन धान हेतु यदि तकरीबन लबालब भरे गंगरेल को गेट नहीं खोला जाता तो आज की परिस्थिति में गंगरेल से पानी छोडऩे में कोई समस्या नहीं आता।
गंगरेल के कमांड क्षेत्र में आने वाले तकरीबन 2 लाख 42 हजार हेक्टर कृषि भूमि मे से महज 10 प्रतिशत खेतों को ही ग्रीष्मकालीन धान हेतु पानी मिलने की जानकारी देते हुये उन्होंने कहा है कि मात्र इस 10 प्रतिशत खेतों को होने वाले लाभ का खामियाजा 90 प्रतिशत खेतों के मालिक किसान भुगत रहे हैं।
उन्होंने ग्रीष्मकालीन धान की फसल को रबी पानी देने की नीति पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुये शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि वर्तमान परिस्थिति में जल उपयोगिता समिति की बैठक बुला संपूर्ण परिस्थितियां पर विचार कर पानी खरीफ सिंचाई के संबंध में त्वरित निर्णय लिया जावे।


