खादी केवल कपड़ा ही नहीं बल्कि एक विचारधारा : रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के परेड ग्राउण्ड पर 25 दिसंबर तक चलने वाली राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि खादी मात्र कपड़ा ही नहीं बल्कि एक विचारधारा

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के परेड ग्राउण्ड पर 25 दिसंबर तक चलने वाली राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि खादी मात्र कपड़ा ही नहीं बल्कि एक विचारधारा है।
इस अवसर पर श्री रावत ने कहा खादी वस्त्रों की आवश्यकता की पूर्ति तो करती ही है रोजगार का भी माध्यम है। लाखों लोग खादी से रोजगार प्राप्त कर रहे है। खादी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन’ का नारा दिया है। खादी को फैशन डिजाइन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए विदेशी भी काम कर रहे है।
उन्होंने कहा कि देश में खादी की बिक्री में 33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2000 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। खादी को हमारे रोजगार व स्वरोजगार का साधन बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने रेशेदार पौधों की खेती को बढ़ावा देने तथा बुनकरों की संख्या में वृद्धि के प्रयासों पर भी बल दिया। उत्तराखण्ड में सहतूत से सिल्क तैयार करने की बहुत संभावनाएं हैं। भीमल व रामबांस आदि रेशा आधारित पौधों से प्राप्त मोटे रेशे से पर्दे, फुटमैट तैयार किये जा सकते है, उन्होंने इस दिशा में भी शोध की जरूरत बतायी।
श्री रावत ने कहा कि प्रदेश के गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल के साथ ही दूर-दराज क्षेत्रों में भी ऐसे मेलों का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में रेशेदार पौधों के अलावा भीमल, सहतूत आदि की पैदावार व उनके उत्पादों पर कार्यशाला का भी आयोजन किया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्वरोजगार का साधन बनें। सामान्य आदमी तक हमारे प्राकृतिक उत्पादों के व्यवसायीकरण का लाभ पहुंचे, इस दिशा में भी कार्य किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बार आयोजित खादी प्रदर्शनी में देश के 11 राज्यों के प्रतिभागियों का शामिल होना खादी को बढ़ावा देने का बड़ा प्रयास है। राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टॉलों का भी अवलोकन किया और स्टॉल संचालकों को शुभकामनाएं दी।


