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'गांधीजी की तस्वीर के बिना पहले भी छपे केवीआईसी कैलेंडर, डायरी'

नई दिल्ली ! खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली डायरी व कैलेंडर के प्रकाशन पर मचे सियासी घमासान में एक नया मोड़ आ गया है।

गांधीजी की तस्वीर के बिना पहले भी छपे केवीआईसी कैलेंडर, डायरी
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नई दिल्ली ! खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली डायरी व कैलेंडर के प्रकाशन पर मचे सियासी घमासान में एक नया मोड़ आ गया है। सूत्रों का कहना है कि पहले भी आयोग ऐसी डायरी व कैलेंडर छाप चुका है, जिसमें महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी। सूत्रों ने इस विवाद को 'अनावश्यक' करार दिया। केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी में 'महात्मा गांधी की जगह' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छापने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथ लिया है।

सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012, 2013 तथा 2016 में केवीआईसी द्वारा जारी कैंलेंडर व डायरी में महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी, इसलिए इस मुद्दे पर विवाद का कोई कारण नहीं बनता।

सूत्रों का कहना है कि केंद्र में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान खादी की बिक्री में पांच से सात फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई, लेकिन बीते दो वर्षो में 'अप्रत्याशित' 34 फीसदी की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि बिक्री में यह इजाफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोगों से खादी को अपनाने पर जोर देने के कारण हुआ।

सूत्रों का कहना है कि केवीआईसी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि कैलेंडर या डायरी में महात्मा गांधी की तस्वीर होनी ही चाहिए। उनके मुताबिक, मोदी 'युवाओं के आदर्श' हैं और युवाओं के बीच खादी की बढ़ रही लोकप्रियता इसका सबूत है।

उन्होंने कहा कि केवीआईसी डायरी व कैलेंडर में मोदी की तस्वीर उस कार्यक्रम से ली गई थी, जिसमें उन्होंने निर्धन महिलाओं के बीच चरखे का वितरण किया था।

गुरुवार को आईएएनएस ने अपनी एक खबर में बताया था कि केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी के कवर पेज पर एक साधारण चरखे पर खादी बुनते महात्मा गांधी की चिर-परिचित तस्वीर की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर ने ले ली है।

कांग्रेस, वाम मोर्चा, तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर इस घटना की निंदा की है और जोर देकर कहा है कि राष्ट्रपिता को 'बदला' नहीं जा सकता।


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