केजरीवाल, सिसोदिया की मांग जीएसटी में हो कुल 12 प्रतिशत की टैक्स दर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जीएसटी में अधिकतम टैक्स स्लैब 12 प्रतिशत रखने और 28 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को हटाने की मांग की है

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जीएसटी में अधिकतम टैक्स स्लैब 12 प्रतिशत रखने और 28 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को हटाने की मांग की है। अशोका होटल में दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित जीएसटी के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि
12 में से 6 प्रतिशत टैक्स केन्द्र के लिए और 6 प्रतिशत राज्य के लिए होना चाहिए जो कि पर्याप्त है। दिल्ली सरकार की ओर से अशोका होटल मेंजीएसटी कॉनक्लेव का आयोजन किया गया जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया, ट्रेड एंड टैक्सेस कमिशनर राजेश प्रसाद के अलावा व्यापारियों ने भाग लिया।
अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जीएसटी को लेकर व्यापारियों से उनकी राय लेते हुए जीएसटी से हो रही परेशानियों पर चर्चा की। इसके साथ ही व्यापारियों की ओर से वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया को जीएसटी को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा जायेगा जिससे वो उन मुद्दों को 9 नवंबर की जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में उठा सकें। वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जीएसटी में रिटर्न सभी व्यापारियों के लिए तिमाही होनी चाहिए चाहे वह डेढ करोड़ से ज्यादा टर्नऑवर वाले डीलर्स हों या डेढ करोड़ से कम टर्नऑवर वाले डीलर। इसके साथ ही सिसोदिया ने रोजमर्रा की जरूरत की चीजों बच्चों केखिलौने एवं चॉकलेट,सीमेंट,ऑटो पार्ट्स,टू व्हीलर पार्ट्स,फर्नीचर,हार्डवेयर एवं बाथरूम फिटिंग,इलेक्ट्रिकल आइटम,मार्बल,प्लास्टिक पार्ट्स आदि को 28 प्रतिशत लग्जरी स्लैब में रखे जाने का विरोध किया और कहा कि वो 9 नवंबर की जीएसटी काउंसिल में इन वस्तुओं पर टैक्स कम करने की मांग करेंगे।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जब से जीएसटी की चर्चाएं शुरू हुई हैं, तब से समझने का प्रयास हो रहा है कि मुझे फाइनेंस की समझ भी नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल जी ने कहा कि लोगों से बात करते रहे, सब समझ आ जाएगा। आज सारे राज्यों के वित्त मंत्रियों को समझ आ गया कि लोगों और व्यापारियों से बात करनी होगी। जीएसटी लागू होने से पहले और बाद में कई बैठकें हुईं इसमें भी मुख्यमंत्री का सुझाव महत्वपूर्ण है और उन्हीं के निर्देश पर जीएसटी एडवाइजरी कमेटी की पहली बैठक हुई है।
उन्होंने बताया कि रिटर्न दाखिल करने में समस्याएं आ रही हैं व 1 जुलाई के बाद भी वैट की तरह दिक्कतें बरकरार हैं। ग्राहक की जेब पर बोझ कम होता तो सही होता, व्यापारी को रिटर्न में दिक्कतें नहीं होती तो समझते कि फायदा हुआ और यदि सुधार नहीं हुआ, तो देश के अर्थशास्त्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ रुपए वाली लिमिट भी हटवानी है और 80 प्रतिशत कारोबारी 1.5 करोड़ से नीचे है। प्रधान वित्त सचिव एसएन सहाय ने कहा कि जीएसटी में अभी समस्या हो रही है लेकिन इससे देश को लाभ मिलेगा।


