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निगम चुनाव हारे तो मुख्यमंत्री पद छोड़ें केजरीवाल : यादव

दिल्ली की सत्ता की कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल को बैठाने में सहयोग करने वाले योगेंद्र यादव अब उन्हें ही सत्ताविहीन करने की जुगत में लग गए हैं

निगम चुनाव हारे तो मुख्यमंत्री पद छोड़ें केजरीवाल : यादव
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नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता की कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल को बैठाने में सहयोग करने वाले योगेंद्र यादव अब उन्हें ही सत्ताविहीन करने की जुगत में लग गए हैं। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने खुला पत्र लिखते हुए दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे देने की मांग रख दी है।

योगेंद्र यादव ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप पार्टी दिल्ली नगर निगम चुनाव में बहुमत हासिल न कर पाए, तो अरविंद केजरीवाल को समझ जाना चाहिए कि जनता ने उन्हें नकार दिया है और इसके बाद ईवीएम पर भड़ास निकालने की बजाए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पत्र में योगेंद्र यादव ने कहा कि दो वर्ष पूर्व जो ऐतिहासिक जनादेश दिल्ली की जनता ने दिया था, वह पार्टी अथवा किसी एक चेहरे का करिश्मा नहीं था, बल्कि उसके पीछे हजारों वॉल्ंिटयरों का त्याग व तपस्या के साथ जनता का आत्मबल था। आज उस जनता का आत्मबल डगमगाता हुआ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष में पहली बार वह केजरीवाल से संवाद कर रहे हैं और वह सिर्फ इसलिए, जिससे रामलीला मैदान में केजरीवाल द्वारा किए गए वादों को याद दिला सके। उन्होंने बताया कि पिछले महीने में दिल्ली नगर निगम चुनाव के दौरान दिल्ली के कोने-कोने में जाने का मौका मिला।

दिल्ली में चारों तरफ कूड़े के ढेर हैं, गन्दा पानी रुका हुआ है, बदबूदार और खतरनाक हवा है। जनता जानती है कि दिल्ली की बदहाली की पहली जिम्मेदारी दस साल से निगमों पर राज कर रही भाजपा की है, लेकिन फिर भी बीजेपी बेशर्मी से इस चुनाव में खड़ी है और वोट मांग रही है।

योगेंद्र यादव ने कहा कि वह पिछले महीने भर से सोच रहे हैं कि आखिर निक्कमी व भ्रष्ट सरकार को चलाने वाली भाजपा को निगम चुनाव में खड़े होने का मौका देने के लिए कौन जिम्मेदार है। दिल्ली इस दुर्दशा के लिए आप जिम्मेदार है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता का विश्वास तोड़ा है, विश्वास सिर्फ एक नेता या पार्टी से नहीं टूटा है, जनता का खुद अपने आप से विश्वास टूटा है।

आप से धोखा खाने के बाद उन्हें लगता है कि उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान नहीं है, इसलिए टूटे मन से बहुत लोग उन्हीं पुरानी पार्टियों के पास जा रहे हैं, जिन्हे उन्होंने दो साल पहले खारिज कर दिया था।


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