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अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं केजरीवाल : विजेंद्र

दिल्ली सरकार में एक बार फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है

अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं केजरीवाल : विजेंद्र
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नई दिल्ली (देशबन्धु)। दिल्ली सरकार में एक बार फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है और उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संकेत दिए हैं कि पर्यटन विभाग राजेंद्र पाल गौतम से लेकर मनीष सिसोदिया को दिया जा सकता है तो वहीं राजस्व विभाग ग्रामीण दिल्ली से विधायक कैलाश गहलोत को दिया जा सकता है और रजिस्ट्रार कॉऑपरेटिव सोसायटी विभाग राजेंद्र पाल गौतम को मिल सकता है। कामकाज में इस बदलाव पर सरकार का तर्क है कि पर्यटन पर जहां सरकार अधिक ध्यान देगी वहीं ग्रामीण विकास पर विशेष फोकस करने के लिए ही नजफगढ़ के विधायक कैलाश गहलोत को राजस्व विभाग दिया जाएगा।

लेकिन फेरबदल पर विपक्ष के अपने आरोप हैं और नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता कहते हैं-'मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंत्रियों के विभागों में होने वाले फेरबदल में एक बार फिर दिल्ली के प्रति अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। उन्हें पूरे भारत में एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है जिसके पास कोई मंत्रालय अथवा विभाग नहीं है। इसके साथ ही उन्हें एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है, जिसका ध्यान राज्य के विकास की ओर न होकर अपनी पार्टी का अन्य राज्यों में विस्तार की तरफ है। उन्होने कहा कि उनके पास दिल्ली की जिम्मेदारियां निभाने के लिए समय ही नहीं है और सरकारी वैक्यूम के चलते दिल्ली का विकास ठप्प हो चुका है।

यह दिल्ली का दुर्भाग्य है कि उसे ऐसा मुख्यमंत्री मिला जिसका ध्यान अपने राज्य की तरफ कम और अन्य राज्यों की तरफ ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सरकार तकरीबन अपना आधा कार्यकाल पूरा करने जा रही है लेकिन लेकिन मुख्यमंत्री पद की सारी जिम्मेदारियां उपमुख्यमंत्री के ऊपर डालकर अपने आप को हर प्रकार की जवाबदेही से और जिम्मेदारी से मुक्त कर रखा है जबकि दूसरे राज्यों में मुख्यमंत्री 10-15 विभाग देखते हैं। उन्होने कहा कि केजरीवाल अपनी नई राजनीतिक उड़ान के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात तक अपने पंख फैलाना चाहते हैं। उन्होने तंज कसा कि केजरीवाल की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं दिल्ली के लिए नहीं उनकी अपनी आम आदमी पार्टी के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण सिद्ध हुई हैं। पंजाब और गोवा तथा दिल्ली नगर निगमों के चुनावों में करारी हार से यह सिद्ध हो गया कि मतदाताओं में उनकी पार्टी को बुरी तरह से नकार दिया है, इसलिए बेहतर होगा कि वे दिल्ली में रहकर काम करें।


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