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केजरीवाल की हिरासत बढ़ी, पर ईडी-भाजपा बेपर्दा

दिल्ली के कथित शराब घोटाला कांड के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये गये आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज़ एवेन्यू कोर्ट से चाहे पूरी राहत न मिली हो परन्तु उन्होंने न्यायालय में ईडी एवं भारतीय जनता पार्टी को जिस प्रकार से बेपर्दा किया उससे ईडी का पक्ष तो कमजोर हुआ ही

केजरीवाल की हिरासत बढ़ी, पर ईडी-भाजपा बेपर्दा
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दिल्ली के कथित शराब घोटाला कांड के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये गये आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज़ एवेन्यू कोर्ट से चाहे पूरी राहत न मिली हो परन्तु उन्होंने न्यायालय में ईडी एवं भारतीय जनता पार्टी को जिस प्रकार से बेपर्दा किया उससे ईडी का पक्ष तो कमजोर हुआ ही, लोगों में फिर से संदेश गया है कि भाजपा व उसकी केन्द्र सरकार विपक्षी दलों व उनके नेताओं के खिलाफ किस प्रकार से राजनैतिक षड़यंत्र रचती है और उसके लिये जांच एजेंसियों का कैसे इस्तेमाल होता है। दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर केजरीवाल ने अपना पक्ष खुद ही रखा वहीं उन्होंने अपनी हिरासत बढ़ाने का विरोध न कर सबको चौंका दिया। सम्भवत: यह आप की रणनीति का हिस्सा हो कि वे अपनी बात कहें ताकि वह कोर्ट की जिरह से बढ़कर एक राजनैतिक संदेश बनकर दूर तक जाये। अगर ऐसा है तो उसमें वे सफल होते नज़र आये हैं।

उल्लेेखनीय है कि केजरीवाल को उनके दिल्ली के आधिकारिक निवास स्थान से 21 मार्च की रात को गिरफ्तार किया गया था। उन पर दिल्ली शराब घोटाले में संलिप्तता का आरोप है। गिरफ्तारी के पहले ईडी अधिकारियों ने उन्हें 22 मार्च को राउज़ एवेन्यू कोर्ट में प्रस्तुत कर 10 दिनों की हिरासत मांगी थी लेकिन न्यायालय ने केवल 6 दिनों की जमानत दी थी। इसके अनुसार शुक्रवार को उन्हें कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर ईडी द्वारा फिर से 7 दिनों की जमानत मांगी गई थी लेकिन कोर्ट ने यह हिरासत चार दिनों के लिये ही बढ़ाई। उन्हें 1 अप्रैल को सुबह 11.30 बजे कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश ईडी को दिया गया। इस मामले में पहले ही उप मुख्यमंत्री व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया व एक अन्य मंत्री सत्येन्द्र जैन गिरफ्तार हैं। इसी मामले में बीआरएस की नेता के. कविता भी दो दिन पूर्व गिरफ्तार की गई हैं तथा वे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं।

इसके पहले अरविंद केजरीवाल के वकीलों ने सुनवाई के दौरान इस बात को सामने लाया कि जिन सरकारी गवाहों के बयान पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है वे स्वयं अपने बयान बार-बार बदलते रहे हैं अत: उनकी विश्वसनीयता नहीं है। खुद केजरीवाल ने अपना पक्ष दमदार तरीके से रखते हुए कहा कि 'जिस बिना पर उन्हें गिरफ्तार किया है उस आधार पर चांदनी चौक के किसी जेबकतरे को तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।' उन्होंने यह भी बताया कि जिस घोटाले की बात ईडी कर रही है, उसका एक पैसा भी बरामद नहीं किया गया है। कोर्ट में केजरीवाल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड्स सम्बन्धी जो खुलासा हाल ही में किया गया है उससे पता चला है कि एक गवाह शरद चंद्र रेड्डी ने 50 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को दिया है। इसके अनुसार भाजपा के खिलाफ मुकदमा करना चाहिये। इसके पहले दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी भी यह बात कह चुकी है। शुक्रवार को कोर्ट के फैसले के बाद आप के नेता सौरभ भारद्वाज ने भी यह बात दोहराई। इस मामले को लेकर 31 मार्च को रामलीला मैदान में एक बड़ी सभा इंडिया गठबन्धन की ओर से आयोजित की जा रही है जिसमें सभी सहयोगी दलों के शामिल होने की बात कही गई है।

शुक्रवार को केजरीवाल को एक जीत तो ज़रूर मिली जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल जेल से सरकार नहीं चला सकते। यह याचिका सुरजीत कुमार यादव ने दायर की है जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल पर घोटाले का आरोप है इसलिये उन्हें मुख्यमंत्री पद पर रहने की इज़ाज़त नहीं होनी चाहिये। साथ ही ईडी की हिरासत से आदेश जारी करने से केजरीवाल को रोका जाये। न्यायालय ने साफ किया कि केजरीवाल को पद से हटाने के लिये उसे न्यायिक हस्तक्षेप करने या राजनैतिक दायरे में घुसने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह कार्यपालिका का विषय है और मामला न्यायपालिका के दायरे में नहीं आता।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने माना कि हिरासत से काम करने में सम्भवत: कुछ व्यवहारिक दिक्कतें हो सकती हैं परन्तु कोर्ट राष्ट्रपति या दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को किसी तरह की सलाह या मार्गदर्शन देने का इच्छुक नहीं है। बेंच ने माना कि केजरीवाल के मामले में चल रही सुनवाई में कुछ समय लग सकता है लेकिन उस पर सम्बन्धित कोर्ट फैसला लेगा। आज निर्मित हुई स्थिति कल्पनातीत है तो भी कोई कानूनी रोक नहीं लगाई जा सकती। वैसे केन्द्र सरकार एवं भाजपा किस प्रकार से केजरीवाल को शासकीय काम करने से रोकने की तैयारी कर रही है, इसका आभास एलजी विनय कुमार सक्सेना के उस बयान से भी मिला था जब एक मीडिया हाउस के समिट में उन्होंने कहा था कि 'दिल्ली सरकार जेल से संचालित नहीं होने दी जायेगी'। वैसे संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी आरोप में जेल जाने पर किसी मुख्यमंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन से रोका जा सके।

देखना होगा कि 1 अप्रैल को जब केजरीवाल को फिर से प्रस्तुत किया जाएगा तब कोर्ट क्या फैसला लेता है। वैसे साफ दिख रहा है कि ईडी भाजपा के इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है कि कुछ दिनों के बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव में केजरीवाल सक्रियता से काम न कर सकें। हालांकि अब जनता जान गई है कि केन्द्रीय जांच एजेंसियों द्वारा तमाम विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियों व पूछताछ का उद्देश्य भाजपा को चुनावी दौड़ में आगे बनाये रखना है।


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