कश्मीरी अलगाववादियों ने केंद्र से वार्ता प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण मांगा
कश्मीरी अलगाववादी नेतृत्व ने मंगलवार को केंद्र सरकार से उसके वार्ता प्रस्ताव पर अलगाववादी नेतृत्व के शामिल होने पर विचार करने से पहले इसकी अस्पष्टता को दूर करने को कहा है

श्रीनगर। कश्मीरी अलगाववादी नेतृत्व ने मंगलवार को केंद्र सरकार से उसके वार्ता प्रस्ताव पर अलगाववादी नेतृत्व के शामिल होने पर विचार करने से पहले इसकी अस्पष्टता को दूर करने को कहा है। संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) की एक बैठक मंगलवार को सैयद अली गिलानी के हैदरपोरा निवास पर आयोजित की गई। अलगाववादी समूह जेआरएल की अध्यक्षता सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक करते हैं।
जेआरएल द्वारा यहां जारी एक बयान में कहा गया, "जेआरएल ने तफसील से एक बैठक की और जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विचार-विमर्श किया।"
बयान में कहा गया है कि जेआरएल ने हालात का जायजा लेते हुए कहा कि बीते कुछ दिनों से नई दिल्ली में शीर्ष के कई लोगों द्वारा वार्ता के संदर्भ में दिए गए बयान अस्पष्ट व संदिग्ध हैं।
बयान में कहा गया है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर व पाकिस्तान दोनों से वार्ता होनी चाहिए, लेकिन साथ ही कहा कि कश्मीर के दोनों भाग भारत के हैं, जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसमें जोड़ दिया कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं हो जाता पाकिस्तान से कोई वार्ता नहीं होगी।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने इसमें यह कहकर एक नया पेंच डाल दिया कि संघर्षविराम आतंकवादियों के लिए नहीं है, बल्कि लोगों के लिए हैं, जबकि राज्य पुलिस के प्रमुख ने एक बयान जारी कर कहा कि संघर्षविराम की घोषणा इसलिए की गई कि आतंकवादी घर लौटें।
बयान में कहा गया है, "ये सभी अस्पष्टता वार्ता के बारे में गंभीरता से सोचने के लिए बहुत कम अवसर छोड़ती है। जेआरएल यह सब इस परिप्रेक्ष्य में रखना चाहता है।"
बयान में कहा गया, "कश्मीर के लोगों के समर्थन के लिए दावे बहुत अधिक हैं। हमने आत्म-निर्णय के अधिकार के लिए अपने संघर्ष में भारी निवेश किया है और हम एक अस्पष्ट प्रयास का हिस्सा नहीं बन सकते, जिसमें कोई स्पष्टता व दिशा नहीं है।"


