कश्मीरी सुधारवादी सर्वानंद प्रेमी का परिवार न्याय के लिए 31 साल से भटक रहा
प्रसिद्ध कश्मीरी शिक्षक, लेखक और कवि सर्वानंद प्रेमी की 1990 में आतंकवादियों ने उनके बेटे के साथ हत्या कर दी थी। उनका परिवार न्याय के लिए 31 वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं

श्रीनगर। प्रसिद्ध कश्मीरी शिक्षक, लेखक और कवि सर्वानंद प्रेमी की 1990 में आतंकवादियों ने उनके बेटे के साथ हत्या कर दी थी। उनका परिवार न्याय के लिए 31 वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं।
उनके दूसरे बेटे, राजिंदर प्रेमी, अधूरे वादों, राज्य मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों को लागू न करने और यहां तक कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर कटु हैं।
सर्वानंद प्रेमी गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, परोपकारी और मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष थे।
वह अनंतनाग जिले के दक्षिण कश्मीर सोफ-शाली गांव के रहने वाले थे।
राजिंदर प्रेमी ने आईएएनएस को बताया, आतंकवादियों ने 1990 में हमारे गांव से मेरे पिता सर्वानंद प्रेमी और मेरे भाई वरिंदर प्रेमी का अपहरण कर लिया था। दो दिन बाद उनके शव मिले।
राजिंदर ने कहा, मेरी मां 2017 तक जीवित रहीं और उन्होंने 27 साल तक हिंसा में अपना सबकुछ गंवाने का दर्द और सदमा सहा।
सर्वानंद ने 40 किताबें लिखी थीं। उन्होंने 'भगवत गीता' का उर्दू और कश्मीरी में व 'रामायण' का कश्मीरी में अनुवाद किया था। उन्होंने टैगोर की 'गीतांजलि' का कश्मीरी में अनुवाद भी किया।
उन्हें संस्कृत पर अधिकार था और कुरान का उचित ज्ञान था।
परिवार के पास पवित्र कुरान की एक दुर्लभ, हाथ से लिखी पांडुलिपि थी और यहां तक कि परिवार के स्वामित्व वाली हर चीज के साथ इसे भी लूट लिया गया था।
परिवार ने न्याय के लिए एसएसआरसी से संपर्क किया और आयोग ने 2012 में सिफारिशें पारित कीं।
राज्य सरकार ने सर्वानंद के पैतृक गांव में एक सामुदायिक/सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण, उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यों की स्मृति और परिवार को नष्ट और लूटी गई संपत्ति के लिए मुआवजा देने का फैसला किया था।
राजिंदर ने मायूस होकर कहा, हम एक पिलर से दूसरे पिलर की ओर बढ़ते रहे हैं और न्याय के लिए हमारी प्रार्थना टेनिस बॉल की तरह एक कोने से दूसरे कोने में फेंकी जाती रही है। हमें क्या करना चाहिए?
परिवार ने न्याय के लिए अब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और संभागीय आयुक्त कश्मीर से संपर्क किया है।


